कोरोना महामारी और ऑनलाईन पढ़ाई

कोरोना वायरस का प्रभाव आज समूचे विश्व पर पड़ रहा है। दुनिया भर के लगभग 190 देश इसकी चपेट में आ चुके है । जिसके चलते दुनिया भर तमाम सेक्टर वैश्विक मंदी के दौर से गुजर रहे है । इस वायरस की वजह से कितने देशों में लॉकडॉउन और कर्फ़्यू की स्थिति आ गई है। उद्योग जगत, सामाजिक आर्थिक क्षेत्र  के साथ-साथ शिक्षा जैसा महत्वपूर्ण क्षेत्र भी इस वायरस से बुरी तरह प्रभावित हो रहा है । जिसमें कोरोना में लाकडाउन जैसी प्रक्रिया ने दुनिया के तमाम देशों के साथ-साथ भारत जैसे विशाल व विकासशील देश में शिक्षा प्रणाली को काफी प्रभावित किया । और शिक्षा प्रणाली में नवाचारों को जन्म दिया जिसमें ऑनलाईन शिक्षा सबसे बड़ा नवाचार है ।

  ऑनलाईन शिक्षा को शिक्षा का दर्जा 1993 में प्राप्त हो गया था। तब से ऑनलाइन शिक्षा प्रचलन में है। किन्तु पहले उच्च शिक्षा तथा दूरस्थ शिक्षा के लिए ही ऑनलाइन शिक्षा का विकल्प था। किन्तु आज के समय में महामारी के कारण छोटी कक्षाओं के छात्र भी ऑनलाइन शिक्षा के द्वारा शिक्षित हो रहे है । इसमें बच्चों को तकनीकी माध्यम से शिक्षा प्रदान की जा रही है।

ऑनलाइन शिक्षण प्रिक्रिया

  ऑनलाइन शिक्षा को इंटरनेट आधारित शिक्षा भी कहा जाता है। क्योंकि यह वो शिक्षा है जो इंटरनेट के बिना आरम्भ नहीं हो सकती। दूसरे शब्दों में यूं कहे कि ऑनलाइन शिक्षा वह शिक्षा है, जिसमें मोबाइल, कंप्यूटर आदि तकनीकी साधन के माध्यम से घर बैठे शिक्षा प्राप्त कर सकते है। ऑनलाइन क्लासेस कोरोना वायरस महामारी के समय शिक्षा के क्षेत्र में एक अहम भूमिका निभा रही है, जिसके द्वारा बच्चे इस महामारी के संक्रमण से मुक्त होकर घर बैठकर ही शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

भारत सरकार एवम् सभी राज्यो की सरकारों ने भी इस दिशा में कई कदम उठाए हैं । ताकि विद्यार्थियों को घर बैठे ही ऑनलाइन माध्यमों से ई-कंटेंट मुहैया कराए जा रहे हैं। यूजीसी एवम् अन्य क्षेत्रीय बोर्ड कई सारे ऐप्स और वेबसाइट पर कोर्स से संबंधित नोट्स और अन्य मटेरियल मुफ्त में दे रहे है। हर विद्यार्थी को शिक्षा मिल सके ।

ऑनलाइन शिक्षा के फायदे

  इसमें विद्यार्थियों को घर बैठे ही तकनीकी के माध्यम से शिक्षा मिलती है । ऑनलाईन शिक्षा में दृश्य-श्रव्य माध्यमों से सरल व उपयोगी ई-कंटेंट प्राप्त होते है । बच्चों में झिझक खत्म हुई है । ऑनलाइन शिक्षा में प्रत्येक शिक्षक त्रृटि व दोष रहित कंटेंट देने की भरपूर कोशिश करता है जिससे बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा घर पर ही प्राप्त होती है। ऑनलाइन शिक्षा में समय की बचत होती है । ऑनलाइन क्लास लेते समय बच्चा हमेशा अपने माता या पिता की निगरानी में रहता है, इसलिए अगर उसे पढ़ाई में कोई दिक्कत आती है, तो उसके माता-पिता उसकी मदद कर सकते हैं। इन सभी के अलावा मौसम, धन सहित अन्य जोखिम भी खत्म हो जाते है ।

ऑनलाइन कक्षाओं के नुकसान

आनर्लान शिक्षा का सबसे बड़ा नुकसान भावी पीढ़ी में कई नैतिक मूल्यों जैसे दया, सहयोग, एकता आदि का हास होने का खतरा रहता है । यदि आप ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहाँ नेटवर्क खराब है, तो आपके बच्चे को ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने में कठिनाई हो सकती है। जिसका उनकी आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बच्चे ऑनलाइन क्लास मोबाइल तथा कंप्यूटर की सहायता से लेते है, जिसमें इंटरनेट कनेक्शन भी होता है। बच्चों का मन भी चंचल होता है, वे गूगल पर कई प्रकार की वस्तुएँ देखने लगते है, जिसमें अश्लील विडियो, न्यूड फोटो तथा नाटक व फिल्मे है, जिससे बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता और वह गन्दी प्रवृतियों की और जाने लगते है। बच्चों के लिए घातक भी सिद्ध हो रहे है। कई बच्चे इससे बीमार तथा मानसिक संतुलन खोते जा रहे है । यह भी ऑनलाइन शिक्षा का दोष है।

  ऑनलाईन शिक्षा में बच्चों का शिक्षक से सीधा तालमेल नही रहता है । अपनी समस्याओं का उचित व पर्याप्त समाधान नही कर पाते है । इससे आँखों की समस्या, सरदर्द आदि समस्याओं का सामना बच्चों को करना पड़ता है। इसमें बच्चों पर नियंत्रण रहित शिक्षण कार्य होता है । जो बेहद घातक है । बच्चों का ऑनलाइन शिक्षा में मन बहुत कम लगता है। भटकाव की गुंजाईश ज्यादा रहती है ।

निष्कर्ष

सार-संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि ऑनलाइन शिक्षा दूरस्थ तथा उच्च शिक्षा के लिए पिछले कई वर्षाें से एक अच्छा विकल्प रहा है किन्तु कोविड -19 महामारी के इस दौर में छोटी कक्षाओं के लिए  इसने शिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऑनलाइन शिक्षा की प्रिक्रिया बहुत सरल है । किन्तु इसके नुकसान और फायदे भी है। इसलिए बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा पर उनके माता पिता का नियंत्रण बहुत जरूरी है । तभी ऑनलाइन शिक्षण प्रभावी और लाभदायक सिद्ध हो सकता है। वहीं देशभर के तमाम दूरस्थ इलाकों में ऑनलाईन शिक्षा की पहुंच बनाने को लेकर सरकारों को बहुत कुछ करने की जरूरत है । ताकि अन्तिम पायदान पर बैठा हर विद्यार्थी शिक्षा से लाभान्वित हो सके । जो उसका मूलभूत अधिकार है। यह बात भी अपने आप में सर्वसिद्ध है कि ऑनलाईन शिक्षा आफलाईन शिक्षा से कभी भी बेहतर नही हो सकती है। ऑफलाईन शिक्षा आज भी सबसे बेहतर है। महज् कोरोना की विपरीत परिस्थितियों ने ऑनलाईन शिक्षा को शिक्षा जगत में प्रमुखता प्रदान की है। वहीं दूर-दराज के क्षेत्रों में इन्टरनेट कनेक्टिविटी के अभाव में ग्रामीण बच्चे विशेषकर गरीब तबके के बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे है। उन बच्चों का भविष्य अधरझूल में लटकता नजर आ रहा है । जिसके बारे में सरकारों को नए सिरे से चिन्तन व मंथन करने की जरूरत है ।


मुकेश बोहरा अमन

बाड़मेर राजस्थान 

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