सृष्टि का आधार हैं बेटियां
   

     बेटियां

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बेटी को अभिशाप ना समझो,

हैं ईश्वर का उपहार बेटियां।

       सृष्टि का आधार हैं बेटियां,

       सारे जग की सार है बेटियां।

हम सबकी अभिमान बेटियां,

होती घर की शान बेटियां।

       तनिक भी कम ना बेटों से बेटियां,

        रखती जिगर में दम हैं बेटियां।

हर क्षेत्र में अब देखो यारों,

अपना परचम लहराए बेटियां।

         चूल्हे चौके के संग बेटियां,

          सारा देश  चलाएं बेटियां।

बस, ट्रक, ट्रेन बुलेट को छोड़ो,

अब ऐरोप्लेन उड़ाएं बेटियां।

         कुश्ती ,तैराकी,क्रिकेट में भी,

         देश की शान बढ़ाएं बेटियां।

अा जाएं जो अपने पर बेटियां,

तूफानों से टकराएं बेटियां।

           पहन के चोला केसरिया,

           दुश्मन को धूल चटाएं बेटियां।

लक्ष्मी ,दुर्गा ,काली बन कर,

रण में तलवार चलाएं बेटियां।

          चिताओं को अग्नि देकर अब,

          बेटों का फ़र्ज़ निभाएं बेटियां।

जाएं जिस घर में ब्याह कर,

उस घर को स्वर्ग बनाएं बेटियां।

        धैर्य , शील , क्षमा और साहस को,

        अपना गहना बनाएं बेटियां।

जीवन की मुश्किल घड़ियों में,

आशा की किरण जगाएं बेटियां।

        तन मन धन और निष्ठा से,

        अपनों का साथ निभाएं बेटियां।

त्याग,समर्पण और धैर्य का,

जग को पाठ पढ़ाएं बेटियां।

          हर घर की मर्यादा और सम्मान हैं बेटियां,

         जग की भविष्य और वर्तमान हैं बेटियां।

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रचना - 

सपना (स०अ०)

प्रा ०वि० उजीतीपुर

भाग्यनगर औरैया