एक ऐसा शहर जहां सभी प्रकार का परम वैभव मिलता है, लोकमाता अहिल्या की इस नगरी इन्दौर मध्यप्रदेश हर एक क्षेत्र में नम्बर वन है। लक्ष्मी पुत्रों की यह सदियों से कोई कमी नहीं है पर यह वारद पुत्रों का भी बोलवाला है। ऐसे ही वरिष्ठ राजनेता जनसेवक परम ज्ञानी प्रसिद्ध राष्ट्रीय कवि पंडित सत्यनारायण सत्तन ( गुरुजी ) एक ऐसे सेनापति तो है ही पर वह एक कर्मयोगी भी है जो भारत माता और राष्ट्र भाषा हिंदी को समर्पित सेवक की भूमिका में सतह सेवा में वह लगे हुए हैं।
उनकी वाणी में भारत माता का ओज सैनिकों सा पराक्रम विघादायनी मां जैसा वत्सल है। इष्टदेवताओ का पुण्य प्रताप है जो पूरे राष्ट्र में अपनी लेखनी के मध्यम से कविताओं के कटाक्ष से युग प्रेरकत्व बन कर जनचेतना जगा रहे हैं। 7 फरवरी 1940 को जन्मे गुरुजी आज उम्र के 83 सावन देख चुके पर साहित्य के क्षेत्र में इस उम्र में भी वह बच्चों से भी ज्यादा चंचल है वह अल्हड़ फ़क़ीरी में मस्त इन्सान है अपकी भाषा व भाव में वही तेज चमकता है आप चाहें साहित्य मंच में हो या कवि सम्मेलन का मंच उसमें सबसे ज्यादा युवा वहीं होते हैं। कवि सम्मेलन के मंचो पर वह बेटियों पर अपनी कविता इस प्रकार सुनने है ।
वह कहते हैं कि कुदरत का करिश्मा नहीं कुदरत है बेटियां ये दुनिया बनाये रखती वह अमृत है बेटियां। ऐसे शब्दों को वह अलंकृत करते हैं मानों वह इंसानियत के रखवाले हो । अपनी लेखनी के मध्यम में कर्म करते जा रहे हैं , राजनीति में भाजपा के नींव के पत्थर रहें जनसंघ से राष्ट्र प्रेम से एकसुत्र में बंधे सत्तन जी ने 1980 में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में इन्दौर क्षेत्र क्रमांक 1 में निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार रहे वह चुनाव हार गए उसी वर्ष उपचुनाव में उन्होंने कांग्रेस के पंडित कृपाशंकर शुक्ला को हराया। आप मध्यप्रदेश शासन में पूर्व खादी ग्रामोद्योग बोर्ड अध्यक्ष भी रहे पर आप का असली पेशा तो कविताएं व साहित्य का था ।
इसलिए देश में विभिन्न मंचों पर राष्ट्रीय चेतना जागृत करने के लिए आप इस क्षेत्र में अभी भी आगे बढ़ रहे हैं। उन्हें सरस्वती के वरद पुत्र शब्द स्वर दुत अखिल श्रृष्टि को रचते हैं वीणा वाणी दुलर कर शिव मंगल गाते हैं कवि बह्मा हों जाता जब वह नई रिचा गढ़ते हैं। सत्तन गुरुजी हिन्दी के सत्य को जनविचारो के बीच ले जाकर अपनी ओर से परिक्षम कर रहे हैं,आप ऐसे हिन्दी के पंथ प्रदर्शक जो राष्ट्र समाज व युवा पीढ़ी को संवारने का मिशन समाजहित में जारी रखें हुऐ हैं। कविताओं में अपनी बोलचाल की भाषाओं में हास्य व्यंग बातों के जरिए जो कटाक्ष करते वह बहुत प्रभावी व लोगों के बीच बहुत प्रसिद्धि प्राप्त कर लेते है।
सत्यनारायण सत्तन जी हिन्दी कवि सम्मेलन के कुशल संचालन तो है ही साथ उनका कवि सम्मेलन में आ जाना ही मानों चार चांद लग जाया करता हैं । हर एक कार्यक्रम में पूरे राष्ट्र में वह अपना अलग मुकाम रखते हैं , वहीं राजनीति चाहे प्रदेश की हो या केन्द्र की कार्यकर्ता के रूप में वह राष्ट्रवाद की भावना में सत्य से हमेशा जुड़े रहे गलत बात का वह पूरी ताकत से विरोध करते हैं। अपने लोगों को भी वह खरी खरी सुना देते हैं। उनका मूल्यांकन सटीक होता है इसलिए वह आज भी अपने फाकडपन के लिए पहचानें जाते है वह लक्ष्मी पुत्र नहीं बनें। उनका निराला अंदाज उन्हे लोभ माया लालच के मोहपाश में कभी नहीं उलझा सका ।
कुर्सी की लालसा उन्हें कभी भी नहीं रही , राजनीति के क्षेत्र मे उन्हें अच्छे-अच्छे धुरंधरों से समना करना पड़ा पर उन्होंने हमेशा से राष्ट्रवाद देशहित में हमेशा आगे रहे वह तो वरद पुत्र हैं जो सरस्वती की अराधना में लेखनी से विचारों में समन्वय के भाव स्थापित करके सामने वाले विरोधीयों को भी अपना बना लेते हैं इस लिए सभी दलों के राजनेता पंडित सत्तन गुरु का सम्मान करते हैं। आज भी इन्दौर का टोरी कार्नर चोराहा आप की जनसेवा हंसी-मजाक के साथ वह ठीकना गुलजार रहता है।
आप जनसंघ के सजग प्रहरी व भाजपा के लिये जमीनी कार्यकर्ता के रूप में सारथी रहे । जिन्होंने कभी भी समझौता नहीं किया सत्य बात व सही का हमेशा साथ दिया गलत का विरोध भी खुल कर करते हैं। यही उनकी सच्चाई का अमृत है तभी तो उम्र के इस पड़ाव पर साहित्य के अनमोल शिखर पुरुष कविवर हम सब के आदरणीय सत्तन गुरुजी सिर्फ इन्दौर में नहीं पूरे भारत में काव्य मंचों पर गोष्ठियों में साहित्यिक पटल पर अपना जलवा बिखरा रहे हैं , यही उनका आत्मिक सुख है यही परिश्रमिक भी कह सकते हैं। हम सभी सुधी श्रोता उनके शुभचिंतक ईश्वर से यही कमाना करते हैं कि उनकी वाणी में वह तेज हमेशा बने रहे। वह मां भारती व हिन्दी भाषा का गुणगान हमेशा करते रहे। राष्ट्रीय कवि पंडित सत्यनारायण सत्तन जी के जन्मदिन पर हमारी शुभकामनाएं । वह हमारे इन्दौर की आन बान शान है ।
साहित्य जगत में आप का यह सफर अविरल जारी रहे । आपकी सकारात्मक छवि हम सभी युवा पीढ़ी नये कवि लेखकों का मार्गदर्शन करती रहे यह इन्दौर के लिए गर्व की बात है। नई पीढ़ी के लिए हिन्दी के गुणी जनों में काव्य मंचों पर चमचमाते हीरे मोती आप हो और राजनीति में कुशल दूरदर्शी मार्गदर्शन करने वाले सच्चे कार्यकर्ता व जनप्रतिनिधि भी आप हो धर्म के क्षेत्र में विद्वान ज्ञानी पंडित भी आप हो हर एक विद्धा में आप को परांगत हसिल है। आप का यह सफर प्रेरक पंथ बना रहे आप को ऊर्जावान बनाए इसी भाव के साथ कविवर साहित्यकार गुरुदेव सत्यनारायण सत्तन जी को हम सभी जन्मदिवस बधाई देते हैं आप हमारे इन्दौर के मुकुट हो । जिनका मान सम्मान करना हम सभी का कार्यत्व भी है और फर्ज भी है।
प्रेषक लेखक - हरिहर सिंह चौहान जबरी
बाग नसिया इन्दौर मध्यप्रदेश 452001
मोबाइल- 98260-84157