सम्मान---- दोहा छंद

आजकाल सम्मान हा, बिकत हवय बाजार ।

औने- पौने दाम मा,  ले आवँय घर द्वार ।।


सबो बनावत हे इहाँ, बिसा-बिसा पहिचान ।

होड़ लगे हे आज गा,  पाये बर सम्मान ।।


नकली-चकली शान बर, होवत हे बैपार ।

मान कभू पाये नहीं,  जाये धारे- धार ।।


जे मन देवँय मान जी, लहुट मिलय सम्मान ।

सार बात हावय इही,  समझव हे इंसान ।।


सत के रद्दा मा चलव, कहे सदा सत ज्ञान ।

कारज सब अइसे करव, खुद मिलही सम्मान ।।


मुकेश उइके "मयारू"

ग्राम- चेपा, पाली, कोरबा(छ.ग.)

मो.नं- 8966095681