नयी दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को तिहाड़ जेल के अधीक्षक को निर्देश दिया है कि वह टेरर फंडिंग मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उचित मेडिकल मुहैया कराएं। मलिक का दावा है कि वह हार्ट और किडनी से जुड़ी परेशानी से जूझ रहा है। केंद्र सरकार और जेल महानिदेशक (तिहाड़ जेल) की तरफ से पेश हुए वकील ने बताया कि यासीन की याचिका में इन तथ्यों को छुपाया गया है। वहीं मलिक प्रशासन के जरिए मुहैया कराए जा रहे इलाज से इनकार कर रहा है। जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने निर्देश दिया है कि कैदी मलिक इलाज से इनकार कर रहा था, इसकी रिपोर्ट पेश करें।
साथ ही जेल अधीक्षक से सुनवाई की अगली तारीख तक मलिक की मेडिकल रिपोर्ट मांगी है। यासीन को प्रॉपर ट्रीटमेंट दिलाने के लिए जम्मू-कश्मीर या एम्स रेफर करने की मांग वाली याचिका आतंकी मलिक की मां आतिका मलिक ने लगाई थी। दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले पर अगली सुनवाई 14 फरवरी को होगी। हालांकि, पुलिस और प्रशासन के वकील ने कोर्ट से कहा कि मलिक हाई रिस्क कैदी है, इसलिए इलाज के लिए मेडिकल टीम को जेल में ही लाया जा सकता है।
इस पर कोर्ट ने उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए अपील करने कहा ताकि इस पर विचार किया जा सके। वकील रजत नायर ने ये दलील भी दी कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक मेडिकल बोर्ड बनाया था। आजकल जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए डॉक्टरों से परामर्श लिया जा रहा है लेकिन मलिक ने इसके लिए इनकार कर दिया, वह फिजिकली हॉस्पिटल जाना चाहता है। वकील रजत नायर ने कोर्ट को बताया कि एम्स की टीम को दो बार बुलाया गया था लेकिन मलिक ने उनसे बात करने से इनकार कर दिया।
हालांकि जेल अधिकारी, डॉक्टरों के साथ एक बार और सेशन रखने को तैयार हैं। दिल्ली एचसी ने जब पूछा कि आखिर मलिक को आपत्ति क्या थी। इस पर मलिक के वकील ने कहा कि पहले उनका इलाज दूसरे डॉक्टर कर रहे थे। बाद में अधिकारियों ने अचानक डॉक्टरों को बदल दिया और एक नया मेडिकल बोर्ड बना दिया।
यासीन मलिक के वकील ने हाईकोर्ट में बताया कि वे मलिक से पूछेंगे कि क्या वह उसी टीम से या अपनी पसंद के किसी दूसरे डॉक्टर से जांच करवाना चाहेगा या नहीं। हालांकि इस पर कोर्ट ने वकील से कहा कि मलिक किसी विशेष डॉक्टर से इलाज कराना चाहता है, हमें इस पर आपत्ति है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि मौजूदा डॉक्टरों के जांच करने पर क्या दिक्कत हो रही है। हम डॉक्टरों के खिलाफ कुछ भी कैसे मान सकते हैं? उनके ट्रीटमेंट का अधिकार है और उन्हें मान्यता प्राप्त है। नायर के मुताबिक मलिक को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं है, बल्कि केवल OPD रोगी के रूप में जांच करवानी है।