यह जानकर दुःख हुआ कि एक पीठासीन अधिकारी मात्र दो दहाई वोटों में गड़बड़ करते हुए कैमरे पर पकड़ा गया। आश्चर्य इसलिए हुआ कि देश में ईवीएम की धांधली के नाम पर गड़बड़ होते हुए देखा गया है, लेकिन बैलेट वोट के नाम पर...छीः छीः छीः कभी नहीं देखा है। अरे साहब पीठासीन, सच कहें, आपने तो पूरे पीठासीन अधिकारियों की नाक कटवा दी।
हमारे यहाँ ईवीएम पर हजारों वोट जिसे चाहो उसी को पड़ते हैं, फिर चाहे कोई भी बटन दबाओ। एक आप हैं कि बीस-तीस वोट भी संभाल नहीं पाए। हम पूछते हैं, किसने आपको पीठासीन अधिकारी की ट्रेनिंग दी? किसने बना दिया आपको पीठासीन अधिकारी? साहब आप पकड़ में क्या आ गए, आपने पूरी पार्टी को धांधलीखोर सिद्ध कर दिया। हमारी पार्टी ईमानदार नेताओं की पार्टी है।
हम ईवीएम में लाख गड़बड़ कर लें मजाल कोई हमें पकड़ पाया हो। आप जैसे लोग ही पार्टी पर धांधलीखोरी और साम दाम दंड भेद का कलंक लगा रहे हैं। थू है आपकी पीठासीनगिरी पर। डूब मरिए चुल्लू भर पानी में। धिक्कार है आपको कि इस पार्टी में रहकर भी आपको धांधली करने का तरीका नहीं आया। आप तो विदेश चले जाइए साहब, आप इस देश में रहने के काबिल नहीं हैं। अरे साहब, आपको धांधली करना नहीं आता तो ईवीएम में हेरफेर करने वाले पहुँचे हुए नेताओं से पूछ लेते, किसी कट्टर जिताऊ नेता से पूछ लेते। हम कहते हैं आप कब सीखोगे?
इस पार्टी में इतने वरिष्ठ नेता हैं, उनके अनुभवों का लाभ कब उठायेंगे? किसने कहा था आपको कि दस-बीस वोटों का हेर फेर करें? विपक्षी के पूरे के पूरे वोट खारिज कर दे तो कौन आपको पूछने वाला था। देश में अधिकार भी आपका, नेता भी आपके, सिपाही भी आपके, ऊपर से लेकर नीचे तक, आगे से लेकर पीछे तक सब अपने ही तो थे। फिर कैसे पकड़ में आते? वोट पर तो निशान होता है, मंसूबे पर थोड़ी न होता है निशान।
कोर्ट-कचहरी वाले पूछते तो कह देते ज्यादा नखरे न दिखाओ भैया सत्ता में बैठे बड़भैया सब हमारे ही लोग हैं। ज्यादा चीं चपड़ करोगे तो नप जाओगे। कोर्ट में बैठे जज से कह देते क्यों तुम्हें राज्यसभा सदस्य नहीं बनना है? या नहीं तो धमका देते कि जाँच-एजेंसियाँ भिजाऊँ तुम्हारे पास। कुछ भी कहिए साहब पीठासीन अधिकारी भी आप बड़े कच्चे हो। आप पीठासीन न हुए पीठाशनि हो गए।
सुनिए साहब पीठासीन जी, आप चंद वोटों के हेर-फेर में क्या पकड़े गए, हम इधर तकलीफ में पड़ गए हैं। अपने चंद बैलेट वोटों की हेर फेर के लिए किसी पीठासीन अधिकारी के पास जाते हैं तो पीठासीन अधिकारी कहता है, मेरे पास मैनुअल वोटिंग कराने का अनुभव नहीं है।
हम पार्टी ऑफिस से अपना ईवीएम ला देते हैं तो वह कहता है, यह बैलेट बक्सा नहीं है। वो भी ला देते हैं तो कहता है, यहाँ कैमरे लगे हैं। वो भी हटा देते हैं तो कहता है – हमको अकल नहीं है। हम कहते हैं – पीठासीन साहब, बदनाम हुए तो बदनाम हुए लेकिन हमे किसी भी कीमत पर जिता दो। वे कहते हैं देखिए, आज से हम बैलेट बक्सा के नाम से डरने लगे हैं।
हमारा एक भाई पकड़ में आ गया है। कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने वाला है। उसके बीवी-बच्चे बदनाम होने लगे हैं। उसे पकड़कर विपक्ष की दो कौड़ी वाली यूट्युबिया मीडिया ने पूरे पीठासीन अधिकारियों का अपमान किया है। इसलिए आज से हम कोई बैलेट बक्सा वाली वोटिंग नहीं करायेंगे और जब कैमरे हटा दिए जायेंगे तभी हम धांधली करेंगे।
हमने कहा – तो यही बता दीजिए कि कहाँ-कहाँ से कैमरे हटा दें। पीठासीन अधिकारी ने हमको ऊपर से नीचे तक देखा और बोले- चले है कैमरा हटाने। मशीनी कैमरों से खतरनाक विपक्षी कैमरे हैं। कहाँ-कहाँ छिपकर बैठते हैं पता ही नहीं चलता। अब हम आपको किन-किन कैमरों के बारे में बताएँ।
हमने कहा- फिर भी... विपक्ष में किन-किन को हटाएँ। वे बोले- विपक्ष में किनको हटाएँ। हटाना तो सभी को है। किसी को भी बाहर नहीं रखना है। सभी स्सालों को जेल में ठूस दो। न रहेंगे बाहर न होंगे चुनाव और न उठेगी बैलेट बक्सों से चुनाव की पुकार। लेकिन यह इतना आसान नहीं है। कुछ लोग भावों में इस कद्र डूब जाते हैं कि उन्हें भगवान दिखाकर कह दो यही रोजगार तो भी मान जाते हैं। धर्म के नाम पर लड़ा दो और कह दो यही विकास है तब भी मान जाते हैं। बारह सौ के सिलेंडर में गैस की जगह ऊँच-नीच भर दो तुरंत सस्ती लगने लगती है। किंतु जहाँ लोग अधिक पढ़े-लिखे हैं वो तो हमें वोट देने से रहे।
- फिर क्या करें? देखिए पीठासीन अधिकारी जी, हमको तो किसी भी कीमत पर सत्ता बचाए रखना है। इसलिए जीत हमारी ही होनी चाहिए। आप हमारा सहयोग करेंगे तभी हमारी जीत होगी।
- तो हम क्या करें, बताइए? - आप तो कुछ मत करिए, बस इस बार शहर की मेयरी दिलवा दीजिए। बस कोर्ट में हमारी पार्टी की नाक मत कटवाइए। अपनी चालाकी से विपक्ष की धज्जियाँ उड़ा देना। फिर इसके लिए चाहे आपको अपनी शहादत ही क्यों न देना पड़े। जीवित बचे तो कोई न कोई पद मिल जाएगा। वरना मरणोपरांत कोई न कोई पुरस्कार थमा दिया जाएगा।
पीठासीन अधिकारी हँसते हैं। उनके चेहरे पर मुस्कान है। कहते हैं- देखिए जी, हम तो आपको जिता तो देंगे, लेकिन एक बार या दो बार... उससे ज्यादा नहीं। और तुम तो जानते हो कि हम इससे ज्यादा करेंगे तो विपक्ष हमारी लंगोट खींच लेगी। आपने हमारे साथी पीठासीन अधिकारी को दस-बीस वोटों की धांधली में पकड़वा दिया। इसका बदला तो हम बैलेट बक्सा वाले मैनुअल चुनाव से पीछे हटकर ही लेंगे। इसलिए अब आप यहाँ से जाइए। जब कोई विकल्प निकल पड़ेगा तो आपको बुला लेंगे – ईश्वर की कृपा से आप दक्षिणपंथियों के चंगुल से बच गए तो समझ जाना कि आपने गंगा नहा लिया।
तो भइया, अब हम इसी जुगाड़ में फंसे हैं कि इन दक्षिणपंथियों के वोट कैसे हथियाएँ। ये ससुरे धर्म के नाम पर, ऊँच-नीच के नाम पर जल्दी लड़ते भी तो नहीं हैं। बस इस बार एक बार जीत जाएँ तो ऐसा बिल पास करेंगे कि हमें बैलेट बक्सा बनाम ईवीएम की बेफिजूल बहस वाले झंझट से छुटकारा मिले। सोचता हूँ आगे से चुनाव रद्द कर स्वयं को आजीवन राजा घोषित कर लूँ। तब देखता हूँ ये विपक्षी क्या उखाड़ते हैं।
डॉ0 सुरेश कुमार मिश्रा उरतृप्त, मो. नं. 73 8657 8657