मावठ

देखो न

अपने अंतिम चरण में हैं

इस बार की सर्दियां भी ,

लेकिन, एक बार फिर

वो सारे वादे यूं ही धरे रह गए

जो किए थे तुमने

पिछली सर्दियों के दौरान ,,,

कभी-कभी यूं भी लगता है

हमारा प्रेम 

मावठी बारिश है ,

जो कि जितना ज़रूरी है,,

उतना ही सताता भी है,,,,

शायद इसीलिए 

एक-दूसरे के इंतज़ार में

हम लिखने लगे हैं 

असंख्य अनमोल प्रेम-कविताएं

स्वयं को उदाहरण बनाकर,,

सही कह रही हूं न !!

( मावठ - सर्दियों में होने वाली वर्षा को स्थानीय भाषा, विशेषकर राजस्थान में मावठ कहा जाता है, जो कि गेहूं व अन्य फसलों के लिए बहुत लाभकारी होती है )

नमिता गुप्ता "मनसी"

मेरठ, उत्तर प्रदेश