उत्तर का इंतजार करती रही।

तुमने प्रेम में पूर्ण विराम लगाना चाहा,

मैं योजक चिह्न सी उसे जोड़ती रही।

प्रश्न सूचक चिह्न बनते रहे तुम,

मैं विस्मय सूचक चिह्न सी निहारती रही।

अल्प विराम की तरह तुम,अलग करने में लगे रहे,

मैं तुम्हारे निर्देशों को अर्द्ध विराम समझती रही।

तुम लाघव चिह्न सा मुझे संक्षिप्त करते रहे,

मैं उद्धरण चिह्न की तरह तुम्हें  विशेष  करती रही।

उपविराम की तरह तुम अलग दिखाते रहे,

मैं जीवन के कोष्ठक  में तुम्हें बंद करती रही।

हँसपद की तरह तुम मुझे त्रुटि बोधक जताते रहे,

मैं विवरण चिह्न सी अगली पंक्ति में, 

उत्तर का इंतजा करती रही......।


गरिमा राकेश 'गर्विता' 

कोटा,राजस्थान।