मेरे राम आ गए

जय-जय श्री राम। परम सुख के धाम।।

जन-जन के सहारा। विष्णु के अवतारा।।

राम में ही शक्ति है। राम में ही भक्ति है।।

राम ही तो दृष्टि है। राम ही तो सृष्टि है।।


राम नाम जपता हूँ। राम-राम कहता हूँ।।

राम चारों धाम है। राम ही सत्य नाम है।।

राम ही केशव है। राम ही तो माधव है।।

राम नाम सार है। राम से ही संसार है।।


राम ही तो धर्म है। राम ही तो कर्म है।।

राम ही सगुण है। राम ही तो निर्गुण है।।

राम में आस्था है। राम से ही वास्ता है।।

राम में आशा है। राम तृप्त बिपाशा है।।


अयोध्या में धूम मची। गली फूलों से सजी।।

घी के दीप जल उठे। नगर में पटाखे फूटे।।

राम से ही प्रेम है। राम नाम में सप्रेम है।।

मेरे प्रभु राम आ गए। राम राज्य आ गए।।


कवि- अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़

जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई