सीता-राम का विवाह

राम की लीला राम ही जाने,

इसको वेद पुरण बखाने।


चरणों में शीश झुकाकर,

कथा सुनो भजन में गाकर।


राजा जनक की बेटी ,  

सीता हो गई सयानी ।


ब्याह रचने की तैयारी,

करने लगे हैं  राजा रानी ।


जो शिव -धनुष्य उठाएगा

वैदेही का वही दूल्हा बनेगा।


पावन दिन है आज रमणा,

स्वयंवर  की हुई घोषणा।


शिव धनुष को जब,

रघुवीर ने उठा लिया।


राजीव का चयन स्वतः ,

सीता ने मन है किया।


माला हाथ में लिए,  

सिया मंडप की ओर चली।

 

दोनों ने एक दूजे को आपनाया,

सीता ने जय माला पहनाया।


शुभ घड़ी जो आई,

सीय राम जी की हुई।


रोली तिलक  स्वर्ण मुकुट ,

राम लगे  तीनों लोकों  का  सम्राट ।


सदैव जोड़ी साथ रहे  निरख कर,

बाराती बोले  खुश रहो  मिलकर ।


प्रेम मिलाप का नियम निभाना,

आप केवल सीय जी के ही रहना।

 

यह जोड़ी है अनुपम,

करे बारम्बार प्रणाम।


 सियावर रामचंद्र भगवान की जयI


© वर्षा शिवंशिका , (कुवैत)