सहारनपुर। वयोवृद्ध विजय कुमार मंदिरसेवा और तीर्थाटन तो नहीं कर सके लेकिन उन्होंने तप और भक्ति की अनूठी राह चुन ली, वो भी कड़वे नीम से समाज में मिठास और लोगों के जीवन मे आरोग्य घोलने का ऐसा बीड़ा उठाने की कि भीषण ठिठुरन और घने कोहरे में जब नौजवान भी जेब से हाथ बाहर करने की हिम्मत नहीं करते, वह दोनो हाथों में ताज़ी धुली हुई गीली नीम की पत्तियों का गुच्छा और मोटी पतली हर अकार की नीम दातुन हाथ में लिए बड़े अदब से सब को बांटते चले जाते हैं।
करीब बीस सालों से सुबह छह बजे से ही सहारनपुर के कंपनी बाग में प्रतिदिन नर नारायण सेवा में जुट जाने वाले इस प्रभु आराधक को सेवा में ऐसा रस मिला कि लोगों की जरूरत पूरी करने के लिए नीम पत्तियां तोड़ने में पेड़ से गिरकर उनके पैर की हड्डी टूटी, हार्ट की सर्जरी भी हुई, अपनी पान की दुकान भी विजयकुमार ने बंद कर दी।
लेकिन सेवा की धुन ने उन्हें याचक के बजाय बांटने वाला बना दिया। योग गुरु पद्मश्री स्वामी भारत भूषण की नजर उन पड़ी तो पता चला कि लोगों की सेवा करते देख विजय कुमार लोगों से स्वेच्छा निर्धनता में रहकर भी इस सेवा का कोई प्रतिदान किसी से नहीं लेते। पूरी तरह सेवा संतुष्ट इस प्रभु आराधक का कहना है कि ईश्वर कृपा से बेटा अपने पांव पांव पर खड़ा हो गया है जो घर का खर्च चला लेता है और मैं बहुत आनंद में हूं। योग गुरु ने विजय कुमार को मोक्षायतन योगाश्रम में एक प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में साधकों के बीच आमंत्रित किया है।