शाकाहार

लेना हमेशा शाकाहार

ना करना मांसाहार

पास न आये आजार

यही हे बस उपहार


शुद्ध पकवान से

मन भी स्वच्छ रहे

क्रोध न ज्यादा आये

जो शाकाहार करें


क्या खाये कब खाये

यह न कोई समजाये

करें जो आदरतिथ्य

तुम शाकाहार हि पथ्य


कसम खाकर कुछ ऐसी

आज से करुँगी शाकाहार

किसीकी बात न मानूंगी

हात न लगाउ मांसाहार


सौ, कविता पवन दाळू, खामगाव, महाराष्ट्र