हे मेरे व्हाट्सप युनिवर्सिटी! आपको प्रणाम है। आप केवल युनिवर्सिटी नहीं स्कूल, कॉलेज या यूँ कहें कि महान टीचर हो। क्योंकि आप जहाँ-तहाँ हमारा ज्ञानोदय कर देते हैं। हे व्हाट्सप युनिवर्सिटी!! पिछले कई वर्षों से आप जात-पात, धर्म, रंग, भाषा से लेकर न दिखाई देने वाले तत्व तक बराबर छाये हो। इससे सबकी हथेलियों में आप छाए हुए हो। अतएव आपको प्रणाम है।
हे व्हाट्सप युनिवर्सिटी! आप ही डॉक्टक हो, आप ही पुलिस। आप ही हमारे चिकित्सक हैं, आप ही हमारे रक्षक हैं। आपको प्रणाम है। आप सभी सवालों के जवाब हैं! बेरोजगारी हो फट से व्हाट्सप युनिवर्सिटी पर अंगुलियाँ चलाएँ। भुखमरी हो फट से व्हाट्सप युनिवर्सिटी! में खा लें। बहिनों के साथ बलात्कार हो रहा हो या नंगी घुमाई जा रही हों फट से व्हाट्सप युनिवर्सिटी! देख लें। खुशी मिलेगी कि हमारे यहाँ से ज्यादा फलाना राज्य में ऐसी घटनाएँ अधिक हो रही हैं। यह सब पढ़ और देख लेने से व्हाट्सप युनिवर्सिटी हमारी मृत या बलत्कृत बहिनों को पहले जैसा या फिर जिंदा कर देता है।
हे व्हाट्सप युनिवर्सिटी! आप बड़े से बड़े संकट को चुटकियों में हल कर देते हो। अब हमें पुस्तकालयों की जरूरत नहीं है। न हमें सच को पता लगाने की जरूरत है। किसने फॉरवर्ड किया, क्यों किया, कब किया से हम कब के उठ चुके हैं। हमें इन सबसे कोई फर्क नहीं पड़ता है। क्योंकि हमारे पास व्हाट्सप युनिवर्सिटी है। आपको प्रणाम है। हे व्हाट्सप युनिवर्सिटी! आपको देखने के बाद देश चमकने लगा है। जब-जब आपको देखता हूँ लगता है पेड़ों पर फल की जगह रोजगार लग रहे हैं। लड़कियाँ बेखौफ घूम रही हैं। गांधी जी का सपना आपने पूरा कर दिया। वाह-वाह हे व्हाट्सप युनिवर्सिटी! आप जैसा कोई नहीं।
हे प्रबुद्ध हे व्हाट्सप युनिवर्सिटी! आप जनता को हिंदू-मस्जिद के पवित्र कार्य में व्यस्त कर तमाम मुद्दों को अंतरिक्ष में भेज दिया है। हे स्वेच्छाचारिन् हे व्हाट्सप युनिवर्सिटी! इधर-उधर जहाँ आपने चाहा अपने को फैलाया है। अब आप हथेलियों से उठकर मन-मस्तिष्क में छा गए हो। अब हमें कोर्ट-कचहरी की जरूरत नहीं है। आप जो फैसला सुना देते हो, वही अंतिम होता है। आपने हमारा कितना पैसा बचाया है। हे व्हाट्सप युनिवर्सिटी! आपको नमस्कार है।
डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा उरतृप्त, मो. नं. 73 8657 8657