यह कैसी सोच है राजनेताओं की ?

आस्था के सागर में जब विश्वास राम भक्तों का जन सैलाब देखते ही बनता है। रामलला के यह भक्त का यह ज्वार कोई पार्टी या राजनेताओं ने नहीं बुलाया है। जो लोग इसे राम की लहर नहीं मानते , जिनकी नींद इस बार अयोध्या में भव्य राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा से उड़ी हुई है। 

उन्हें यह बात हजम नहीं हो रही है तभी तो बोल वचन के नाकारात्मक तीर चल रहे हैं। कड़के की इस सदियों में ठंडी हवा के प्रहार से भक्त नहीं डरते हैं वह तो राम की भक्ति में रमते हुऐ जय सियाराम राजा राम रामलला की जय-जयकार करते हुए अपनी श्रद्धा अपने अराध्य के प्रति समर्पित कर रहे हैं। राजनीतिक दलों व संगठन के विपक्षी दल इसे भाजपा का विशेष कार्यक्रम मान कर बायकॉट कर लिया इस बात का संदेश गलत रहा। जन-मन में बसे राम से दूरी मानों जनता से दूरी ही कहीं जा रही है , क्या सही में यह बीजेपी का प्रोग्राम था फिर कहा थे उनके अन्य साथी नेतागण सिर्फ देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ही अयोध्या के राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल हुए। 

अपने लिए अपनी सोच अभिव्यक्ति के लिए ठीक रहती है पर दूसरे की लिखी लिखाई बातों को बोलना घातक होता है। मोदी विरोधीयों की कोशिश वहीं तक सिर्फ सीमित है। तभी तो धूरविरोधी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री अल्लाह की कसम खा रही है वह राम के शरणागत होने वाले लोगो को वह   काफिर तक बोल रही है? राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा के दिन वह सर्वधर्म समभाव सभा से राम भक्तों की आस्था को ठीक नहीं बता रही है एकला चलो रे कि यह कैसी बायनबाजी है  ?  जिसने सोचने को मजबुर कर दिया है देश  के राजनेताओं के बिगड़ते बोल  कहा  ले जायेंगी । 

क्या उन्हें बदलते भारत की तस्वीर पैगाम इन्सानियत नहीं दिख रही है ,  हमारी आस्था के इस  संख्या बल का सैलाब  जो अयोध्या में दिख रही है तो क्या यह काफिर नजर आ रहे हैं। वर्तमान समय में भारत का माहौल खुशनुमा है फिर क्यों डरते हैं विपक्ष के राजनेतागण  यह समझ से परे ही है । जब 500 सालों से आस्था के केंद्र अयोध्या में हमारे रामलला टेंट में थे जब उनके बयान कहा थे तब उनकी राजनीति  सिर्फ वर्ग विशेष तक ही सीमित थी।आज भी वही कर रहे हैं एक को खुश करने के चक्कर में अपने सनातन व आस्था से मूंह फेर लेना बहुत ग़लत बात है । राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने सही कहा राम आग नहीं उर्जा है । 

फिर इस गैर-राजनीतिक कार्यक्रम में दुनिया के बहुत से लोग शामिल हुए, पूरे विश्व ने राम से नाता जोड़ा पर विपक्षी दल वहीं विरोध की राजनीति करते रहे दूर ही रहे वह राम से जबकि यह तक जो विवादित ढांचे की पैरवी कर रहे थे जो केस लड़ रहे थे वह इकबाल हंसारी ने एकता भाईचारे की बात कही सरयू नदी के किनारे गंगा जमुना तहजीब वर्षों से है राम रहीम के नाम से भारत एक है। किसी मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल होने का हक़ क्या प्रधानमंत्री को नहीं है क्या ? वहीं उनके 11 दिनों के उपवास पर भी उपहास किया गया, ऐसी बायनबाजी से भगवान बचाए ।  ऐसे बुद्धिजीवी राजनेताओं  से जो आग में घी डालने का काम कर रहे हैं । त्याग तपस्या उपवास हमारे धर्म की सबसे बड़ी सकारात्मक ऊर्जा है जिसके बल पर सब सम्भव है। 

जो नरेंद्र मोदी जी के इन उपवास पर बोल वचन करते हैं और मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा में उनकी पूजा से मंदिर अप्रवित्र हो गया ऐसा कहते हैं तो सोचिए राजनीति का स्तर कहा जा रहा है। राजनेताओं की इंसान से इंसान की नफरत समाजिक स्तर पर राजनीति को कहा ले जायेंगी। वहीं विवादित बयानों से चर्चा में रहने वाले समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि पत्थर में प्राण-प्रतिष्ठा से मूर्ति सजीव ( चेतना)आ जाती है तो मुदो में प्राण क्यों नहीं आते । यह कैसी अभिव्यक्ति है या पागलपन वाली बात कह रहे स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे राजनेता। दुखत बात है आस्था सनातन धर्म में इस तरह मनोबल तोड़ने वाली बातें क्या बता रही हैं यह तो आने वाला वक्त बताएगा। वहीं ओबसी राजनीति में अपनी ढापली बजा रहे हैं कुल मिलाकर हम देखें तो सिर्फ व्यक्ति विशेष का विरोध करते करते राजनीति का स्तर धरातल पर चला गया है। 

बोल वचन की सतह भी चरम पर आ पहुंची है आने वाले लोकसभा में जनतंत्र की ताकत सनातन व आस्था के मतवालों की सोच उनकी उनके विचार कितने कारगर होंगे यह बता देगी। इन राजनेताओं के बोलवचन का कितना आसार पढ़ेगा इनकी हठधर्मिता का ओर जो राम  निमंत्रण पत्र ठुकरा देते हैं वह किसी काम के नहीं है । राम से दूरी जनमानस को कितना अच्छी लगेगी वह तो आने वाला समय बताएगा पर राजनीति में संयम का भाव व नम्रता की बात रखने का सही वक्त व समय होता है । हर समय बोल वचन गलत संदेश देता है और समाजिक व राजनीति के लिए घातक साबित होता है। इसलिए मार्यदा में रहें कर मीठा बोलें जिससे आपास में संबंध विच्छेद नहीं हो रही हमारा कार्यत्व है और धर्म का संदेश भी यही है।

प्रेषक लेखक - हरिहर सिंह चौहान 

जबरी बाग नसिया इन्दौर मध्यप्रदेश 452001