मन बसंत हो झूम उठा है,
उत्सव आज मनाओ सखी!
जनक सुता रघुवर संग आई
पग पग फूल बिछाओ सखी!
राम सिया की अमर कहानी
मंगल गीत सुनाओ सखी!
मन बसंत हो झूम उठा है,
उत्सव आज मनाओ सखी!
आज हमारे भाग्य जगे है,
कलयुग त्रेतायुग सा लगे हैं।
गली-गली में राम नाम की,
मिलकर दीप जलाओ सखी।
मन बसंत हो झूम उठा है
उत्सव आज मनाओ सखी!
नगरी मिथिला इधर सजी हैं,
उधर अयोध्या धूम मची है ।
नगर नगर से, जन जन आए,
अरिपण आज सजाओ सखी।
मन बसंत हो झूम उठा है,
उत्सव आज मनाओ सखी!
पूजा भूषण झा, वैशाली, बिहार।