हे दिल ओ दिल, तेरी याद बहुत आती है हमको।
रातों में नींद नहीं आती है हमको।।
तड़पाता है क्यों हमको इस तरहाँ तू।
आजा तोड़के पिंजरा, मिलने को हमको।।
हे दिल ओ दिल -----------------------।।
लगता नहीं यह दिल, तेरे बिना यहाँ।
लगता है बेरौनक़, तेरे बिना जहाँ।।
मजबूरी क्या है तेरी, हमको बता तू।
याद तेरी रातों में, सताती है हमको।।
हे दिल ओ दिल -----------------------।।
हर चेहरे में तेरी सूरत तलाशते हैं।
कोई चेहरा देखते ही, तुमको पुकारते हैं।।
पूछते हैं खबर, तेरे आने की राहों से।
बनके नसीब क्यों रुलाती है हमको।।
हे दिल ओ दिल ------------------------।।
करने लगे है शक, हम पर यहाँ सभी।
चलती बहारें, लहरें, चाँद सितारें सभी।।
कहते है कि, हम भूल गये हैं अपनों को।
और सिर्फ तुम्हारी ही जरूरत है हमको।।
हे दिल ओ दिल ------------------------।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी. आज़ाद
तहसील एवं जिला - बारां (राजस्थान )