संघर्ष का गीत

हर मुश्किल से जूझ तू,रहकर के गतिशील।

विपदाओं में ठोक दे,तू इक पैनी कील।।

गहन तिमिर डसने लगा,भाग रहा आलोक।

पर तू रख यदि हौसला,तो हारेगा शोक।।

संघर्षों को जीतकर,रचना है इतिहास।

धूमिल हो पाये नहीं,तेरी पलती आस।।

जीवन कांटों से भरा,रखना होगा ध्यान।

अनगिनत तो जंजाल हैं,लाते जो अवसान।।

बच तूू नित्य अनर्थ से,रीति,नीति ले मान।

जग तुझको देगा तभी,जीवन में सम्मान।।

जो करता है पाप को,उसका घटता ताप।

इस संसारी खेल मे,हर क्षण है अभिशाप।।

 हिंसा यहाँ अनर्थ है,और छोड़ना धर्म।

मानवता के नाम पर,कर तू अच्छे कर्म।।

बच अनर्थ से नित्य ही,खुश होंगे भगवान।

तू पाएगा शान तब,कदम-कदम सम्मान।।

है अनर्थ संताप सम,हर लेता जो जोश।

मानव जाता नित्य तब,रोगों के आगोश।।

रह अनर्थ से दूर तू,तो पाएगा हर्ष।

होगा जीवन तब सुखद,जीते तू संघर्ष।।

है अनर्थ अँधियार सम,मत खोना उजियार।

जीवन को तू कर सहज,कर लज्जा से प्यार।।

-प्रो0(डॉ0)शरद नारायण खरे

प्राचार्य

शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय,मंडला

जिला-मंडला,मप्र

(9425484382)