थी ख़ुशी से सराबोर जनता यथा,
नव्य मंदिर कनक सा सँवारा गया।
भव्य मंदिर बना जगमगाता हुआ ,
व्योम में ज्यों जड़ा हो सितारा गया।।
शुभ्र अहसास है ये अवध धाम में ,
आगमन हो रहा है यहांँ राम का।
अक्षि आंँसू भरे हैं ख़ुशी से यथा
आचमन हो रहा है यहाँ धाम का।।
बाद बरसों मिली शुभ्र सौग़ात है,
ईंट में भी लिखा राम का नाम है।
व्याप्त हर पोर में राम का नाम है,
जिस तरफ़ देखिए राम ही राम है।।
दिव्य दर्शन करें राम के धाम का
रोशनीयों को क्षितिज का इशारा गया।
भू-क्षितिज का मिलन हो रहा है सुभग,
दीप उत्सव सुपावन मनाया गया।
घाट सरयू सजाया गया दीप से ,
नीर सी रोशनी को बहाया गया।।
भव्य तैयारियाँ हो रही हैं अटल,
सौम्य कारीगरी हो रही हैं यहांँ।
मन रमा है जहांँ वो अयोध्या नगर ,
राम जी का प्रतिष्ठान होगा वहांँ।।
देख मंदिर लगा व्योम से तोड़ कर,
एक तारा मही पर उतारा गया।
सूर्य मंडल खड़ा द्वार को खोल के,
चाह अभ्यर्थना की लिए राम जी।
गुनगुनाती हुई मेघमाला चली,
शुभ्र अभिषेक हेतुक अवध धाम जी,
आस सबको लगी है लगी है लगन,
ज्योत्सना झाँकती पेड़ की घेर से।
कब मिलेगी झलक आपकी राम जी,
मैं हुई बावरी दर्श में देर से।।
हैं अपेक्षित यहाँ देव नर साधु मुनि ,
दर्श को वर्ष चौबीस विचारा गया।
ज्योति जैन'ज्योति'
कोलाघाट (कोलकाता)