तम्बाकू और तम्बाकू उत्पादों के सेवन से दूर रहे युवा: सीएमओ

ओरियंटेशन ऑफ़ लॉ इनफोर्सेस प्रशिक्षण/ उन्मुखीकरण कार्यशाला का हुआ आयोजन

राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत आयोजित हुई कार्यशाला

बहराइच । मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय के सभागार कक्ष में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत ओरिएंटेशन ऑफ लॉ इनफोर्सेस प्रशिक्षण/उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन हुआ। इस प्रशिक्षण/ उन्मुखीकरण कार्यशाला में बेसिक शिक्षा विभाग, पंचायती राज विभाग, रेल विभाग आदि समेत समस्त स्वास्थ्य इकाइयों पर कार्यरत आशा एवं एएनएम ने तम्बाकू नियंत्रण पर प्रशिक्षण प्राप्त कर तंबाकू सेवन से होने वाली बीमारियों और बचाव के बारे में विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ० सतीश कुमार सिंह ने की जबकि कार्यक्रम का संचालन डीएचआईओ बृजेश सिंह ने किया।

सीएमओ डॉ० सतीश कुमार सिंह ने कहा कि बेहद चिन्ताजनक है कि तम्बाकू उद्योग अब युवाओं को निशाना बनाते हुए उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही है। अगर हम जागरूक नहीं बने तो तम्बाकू उद्योग के इस अनैतिक आचरण के चलते जल्द ही तम्बाकू और निकोटीन का उपयोग करने वाली अगली पीढ़ी हमारे सामने होगी। इसलिए इससे बचना बेहद जरूरी है। युवाओं को तम्बाकू उत्पादों का प्रचार प्रसार करने वाले अभिनेताओं को अपना रोल मॉडल नहीं बनाना चाहिए। 

युवा पीढ़ी को त्मबाकू और तम्बाकू उत्पाद के सेवन से बचना चाहिए।

एनसीडी कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ० एस० सोलंकी ने कार्यशाला में बताया कि तंबाकू नियंत्रण के लिए कोटपा अधिनियम 2003 बनाया गया है जिसमें धारा 4 के तहत सभी सार्वजनिक स्थानों पर धूम्र पान करना अपराध है। पकड़े जाने पर दो सौ रुपये जुर्माना हो सकता है। धारा 6बी के तहत विद्यालय के सौ गज के दायरे में कोई भी तंबाकू की दुकान नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि तंबाकू उत्पाद पर अगर चित्र के साथ चेतावनी नहीं होगी तो धारा 7 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।

डॉ० परितोष तिवारी ने तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों व उससे बचाव की जानकारी देते हुए कहा कि तम्बाकू उत्पादों से मुंह में छाले पडऩा, गले में छाले पडऩा, पेट में छाले पडऩा तथा फेफड़ों में छाले पड़ जाते हैं तथा टीवी होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके साथ-साथ ही श्वास की बीमारियां एलर्जी की बीमारियां डायबिटीज ब्लड प्रेशर बढना, अनिद्रा इत्यादि  प्रकार की बीमारियां भी इससे हो जाती है। जो लोग इसके आदी हो जाते हैं या जिनको लत लग जाती है वह चाहकर भी इसे नहीं छोड़ पाते हैं।

मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ० विजित जायसवाल ने बताया कि तम्बाकू के उपयोग का प्रभाव केवल मृत्यु दर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन की गुणवत्ता और खराब मानसिक स्वास्थ्य से निपटने के प्रयासों को भी प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए तम्बाकू मानसिक स्वास्थ्य के लिए कुछ दवाओं की प्रभावशीलता को कम कर देता है। 

मानसिक बीमारी के कारण लोगों में तम्बाकू का उपयोग करने की संभावना दोगुनी हो जाती है और साथ ही तम्बाकू लोगों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के प्रति अधिक संवेदनशील बना देता है। कार्यक्रम के अंत मे जिला स्वास्थ्य शिक्षा सूचनाधिकारी बृजेश सिंह ने स्वास्थ्य कर्मचारियों समेत विभिन्न विभाग से आए प्रतिनिधियों को शपथ दिलाई कि हम कभी भी धूम्रपान या तंबाकू या अन्य प्रकार के तंबाकू उत्पादों का सेवन नहीं करेंगे साथ ही अपने परिजनों या परिचितों को धूम्रपान का या अन्य तंबाकू उत्पादों का सेवन नहीं करने के लिए प्रेरित करेंगे और अपने अस्पताल परिसर को तंबाकू मुक्त रखेगे। 

इस मौके पर अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ० संतोष राणा एवं डॉ० शंभू दयाल, उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ० सतीश गौतम, डीपीएम सरजू खान, एनसीडी सेल से विवेक श्रीवास्तव, मो० हारून, फहीम अहमद, शरद श्रीवास्तव, एनसीडी क्लीनिक के डॉ० अंशुमान सिंह श्रीनेत, फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ डॉ० रियाजुल हक, पुनीत शर्मा, संतोष सिंह, बृज प्रकाश, मनीष कुमार सिंह, राज कुमार महतो, सीमा कुमारी, अजय एवं मुकेश हंस आदि मौजूद रहे।