अमेरिका सहित 9 यूरोपीय देशों ने संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) की फंडिंग बंद की

हमास-इजरायल युद्ध में कई पश्चिमी देशों ने संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी की फंडिंग बंद की 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव की अरब दुनियां विशेषकर खाड़ी देशों से, भुखमरी का सामना कर रहे युद्ध पीड़ितों की मदद के लिए, सामने आने की अपील जायज-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया 

गोंदिया-वैश्विक स्तर पर आदि अनादि काल से देखा गया है कि जब भी राजाओं महाराजाओं किन्हीं दो देशों राज्यों में दाल की विरोध या, युद्ध होता है तो इसका नतीजा किसी न किसी रूप में नागरिकों को ही भुगतना पड़ता है। चाहे वह जीव आत्मा जीवन उपयोगी वस्तुओं की कमी महंगाई या फिर अपने जान माल की हानि परंतु इससे उनका उभरने के लिए अनेक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं एजेंसियों और मंच ऑन को आगे जाकर उनकी मदद करना सेवा भारी कार्य हो जाता है परंतु उनमें भी कुछ किसी न किसी स्तर पर खेल हो जाता है तो उसका अंजाम भी आम नागरिकों को ही भुगतना पड़ता है। 

जिसका ताजा उदाहरण हम अभी हमास इजरायल युद्ध में देखने को मिला है चार महीना से हम यह युद्ध के विकराल होते मंजर को देख रहे हैं जिसमें विस्थापितों की मदद करने संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी सेवा भाई कार्य कर रही है परंतु उसे पर भीइजरायल द्वारा हमास को सहायता करने व कुछ सदस्यों द्वारा हमास के समर्थ होने के इसराइल के आरोप के बाद अमेरिका सहित दो देशों ने उस यूएनआरडब्ल्यूए की फंडिंग बंद करने की घोषणा की और आज 18 दिन 28 जनवरी 2024 को शहर और देश ने फंडिंग देना बंद करने दिया है बता दें इस एजेंसी को भारत ने भी 2023 24 में 50 लाख डॉलर का चंदा दिया है।

अब इन 9 पश्चिमी देशों द्वारा फंडिंग बंद करने से यूएनआरडब्ल्यूए पर समस्या बन आई हैमहज कुछ दिनों की सहायता की बाकी है, फिर पीड़ितों पर भुखमरी की नौबत आने की संभावना को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने अरब देशों से कहा है कि आप सभी हर दिन हर बॉन्ड ऑर्डर तेल सब्सिडी पर काम रहे हैं। 

उसे राजस्व के एक छोटे से हिस्से से उन रवा की मदद करने से इसकी वित्तीय समस्या रातों-रात गायब हो जाएगी क्योंकि मिडल ईस्ट के कुछ संभवत हताश लोग अब भुखमरी का सामना कर रहे हैं जिसमें अब अब राज्यों को आगे आने की जरूरत है जो के मेरा मानना है की जायज भी है।

 चूंकि अनेक यूरोपीय देशों द्वारा यूएनआरडब्ल्यूए को फंडिंग बंद कर दी है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे संयुक्त राष्ट्र महासचिव की अरब दुनियां विशेषकर खाड़ी देशों से भुखमरी का सामना कर रहे युद्ध पीड़ितों की मदद के लिए आगे आने की अपील जायज है।

साथियों बात अगर हम सबसे पहले यूएनआरडब्ल्यूए को समझने की करें तो, यूएनआरडब्ल्यूए की स्थापना 1948 के अरब-इजरायल युद्ध के बाद विस्थापित फिलिस्तीनियों को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने की थी। 

यह संगठन फिलिस्तीनी शरणार्थियों को ऐसे व्यक्ति के रूप में चित्रित करता है,जिनका सामान्य निवास स्थान 1जून 1946 से 15 मई 1948 की अवधि के दौरान फिलिस्तीन था, और जिन्होंने 1948 के युद्ध के परिणामस्वरूप घर और आजीविका के साधन खो दिए थे। जो लोग उस परिभाषा में फिट बैठते हैं उनकी संख्या अब 5.9 मिलियन है, जो बड़े पैमाने पर मूल शरणार्थियों के वंशज हैं। 

यूएनआरडब्ल्यूए को गाजा में लगभग 20 लाख लोगों के लिए जीवन रेखा माना जाता है। इसकी स्थापना 1949 में उन हजारों फ़िलिस्तीनियों की सेवा के लिए की गई थी, जिन्हें यहूदी लड़ाकों ने उन क्षेत्रों से जातीय रूप से उनके घरों से निकाल दिया था, जो वर्तमान में इज़राइल का हिस्सा हैं।

संयुक्त राष्ट्र एजेंसीउन आरडब्ल्यूए ऊनआरडब्ल्यूए इजराइली कब्जे वाले वेस्ट बैंक, पूर्वी येरुशलम और गाजा के साथ-साथ जॉर्डन, लेबनान और सीरिया में भी काम करती है। ऐसे में ये संस्थान लगभग 60 लाख लोगों से प्रत्यक्ष जुड़ी हुई है। ऐसे में संस्था ने गाजा में मानवीय आपदा के बीच कई पश्चिमी देशों द्वारा फंडिंग में कटौती पर हैरानी जताई है।

साथियों बात अगर हम पश्चिमी देशों द्वारा यूएनआरडब्ल्यूए की फंडिंग बंद करने की करें तो, अमेरिका समेत कई देशों ने संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थियों के लिए काम करने वाली एजेंसी की फंडिंग रोक दी है। दरअसल इस्राइल ने दावा किया है कि हमास द्वारा उनके देश पर 7 अक्तूबर को किए गए हमले में यूएन एजेंसी के स्टाफ ने भी मदद की थी।  जिन देशों ने फंडिंग रोकी है, उनमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड और फिनलैंड शामिल हैं।

इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूएनआरडब्ल्यूए के कुछ कर्मचारियों पर 7 अक्टूबर के आतंकवादी हमलों में शामिल होने का आरोप लगाया है। इसके बाद से गाजा पट्टी में काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी में उथल-पुथल मची है। संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) ने इन आरोपों के कारण अपने कई कर्मचारियों को निकाल दिया है, लेकिन उनकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। 

इस खुलासे के बाद यूएनआरडब्ल्यूए का मुख्य दानकर्ता अमेरिका ने इस संगठन को दिए जाने वाले चंदे को रोक दिया है। अमेरिका के अलावा कम से कम छह अन्य यूरोपीय देशों ने भी यूएनआरडब्ल्यूए की फंडिंग को रोका है। भारत ने भी 2023-24 में यूएनआरडब्ल्यूए को 50 लाख डॉलर का चंदा दिया है।

साथियों बात अगर हम इजरायल के पक्ष और यूएनआरडब्ल्यूए संबंधों की करें तो, अमेरिका ने यूएन को सबसे अधिक 344 मिलियन डॉलर की फंडिंग की थी। इसके बाद जर्मनी ने 202 मिलियन डॉलर, ईयू ने 114 मिलियन डॉलर, स्वीडन ने 60 मिलियन डॉलर, नॉर्वे ने 34 मिलियन डॉलर, जापान ने 30 मिलियन डॉलर की फंडिग की थी। 

एजेंसी की फंडिंग बंद होने पर खुशी जताते हुए इजराइल के विदेश मंत्री इजरायल काट्ज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि गाजा के पुनर्निर्माण में यूएनआरडब्ल्यूए को सच में शांति और विकास के लिए समर्पित एजेंसियों से बदला जाना चाहिए।इजरायल और संयुक्त राष्ट्र के बीच वर्तमान संबंध क्या हैं? हाल के महीनों में संयुक्त राष्ट्र के साथ इजरायल के संबंध ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर आ गए हैं।

 क्षेत्र में हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य प्राधिकरण के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी गाजा में इजरायल के युद्ध आचरण के अत्यधिक आलोचक रहे हैं, जिसमें 26, हज़ार से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं। इस बीच संयुक्त राष्ट्र के युद्धविराम के आह्वान से इजरायली राजनयिक नाराज हो गए हैं।

साथियों बात अगर हम हमास के बयान की करें तो हमास का क्या कहना है, यूएनआरडब्ल्यूए सुविधाओं के बारे में दावे के बारे में पूछे जाने पर में  ने बताया, इस स्तर पर हमारे पास इस पर अधिक जानकारी नहीं है। आंतरिक निरीक्षण सेवाओं का कार्यालय (संयुक्त राष्ट्र का आंतरिक निरीक्षण निकाय) इन सभी आरोपों की जांच करेगा, जो जांच के हिस्से के रूप में यूएनआरडब्ल्यूए के आयुक्त जनरल ने उनसे करने का अनुरोध किया है।

 हमास ने शनिवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कर्मचारियों के अनुबंध समाप्त करने के फैसले की आलोचना की और इजरायल पर यूएन आरडब्ल्यूए और गाजा में मानवीय राहत प्रदान करने वाले अन्य संगठनों को कमजोर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

साथियों बात अगर हम यूएन महासचिव के बयानों की करें तो, यूएन महासचिव ने जारी किया बयानरविवार को जारी एक बयान में, संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि आरोपी 12 यूएनआरडब्ल्यूए स्टाफ सदस्यों में से नौ को निकाल दिया गया था। एक अन्य मर चुका था और दो अन्य की पहचान अभी भी स्पष्ट की जा रही थी। गुटेरेस ने कहा आतंकवादी कृत्यों में शामिल किसी भी संयुक्त राष्ट्र कर्मचारी को जवाबदेह ठहराया जाएगा, जिसमें आपराधिक मुकदमा भी शामिल है।

उन्होंने कहा कि एक स्वतंत्र समीक्षा आने वाली है। 7 अक्टूबर को कर्मचारियों की कथित संलिप्तता के अलावा, इजरायली सेना ने शनिवार को सीएनएन को दिए एक बयान में यह भी आरोप लगाया कि यूएनआरडब्ल्यूए सुविधाओं का इस्तेमाल आतंकवादी उद्देश्यों के लिए किया गया था। 

उनमहासचव ने कहा कि तेल सब्सिडी पर आप सभी हर दिन अरबों डॉलर कमा रहे हैं। उन तेल राजस्व के एक छोटे से हिस्से से यूएन आरडब्ल्यूए की वित्तीय समस्याएं रातोंरात गायब हो जाएंगी। उन्होने अल जज़ीरा को बताया,मिडिल ईस्ट के कुछ सबसे हताश लोग अब भुखमरी का सामना कर रहे हैं, वे अकाल का सामना कर रहे हैं, अब अरब राज्यों को आगे आने की जरूरत है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि हमास-इजरायल युद्ध में कई पश्चिमी देशों ने संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी की फंडिंग बंद की।अमेरिका सहित 9 यूरोपीय देशों ने संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए)की फंडिंग बंद की।संयुक्त राष्ट्र महासचिव की अरब दुनियां विशेषकर खाड़ी देशों से, भुखमरी का सामना कर रहे युद्ध पीड़ितों की मदद के लिए, सामने आने की अपील जायज है।

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र