बांदा। बांदा में मकर संक्रांति के दिन यहां एक अनोखा मेला लगाया जाता है। जिसे ‘नटवली का मेला’ कहा जाता है। इस मेले में आकर प्रेमी जोड़े दीवारों पर अपना नाम लिखकर जाते हैं। फिर कपल्स अपनी मन्नतें मांगते हैं और उन मन्नतों को पूरा होने पर विश्वास रखते हैं। यह एक ऐसा किला है जहां पर हर साल मकर संक्रांति के दिन प्रेमी जोड़ों का एक भारी हुजूम आता है। इस किले का नाम भूरागढ़ किला है। इस किले में लगने वाले मेले के चर्चे दूर-दूर तक हैं। इस किले में मोहब्बत की एक पुरानी दास्तान है।
इस मेले के आयोजन होने के पीछे की वजह भी एक प्रेम कहानी है। लोग बताते हैं कि लगभग 600 साल पहले भूरागढ़ दुर्ग किले के किलेदार की बेटी से नट को प्यार हो गया था। दोनों की प्रेम कहानी परवान चढ़ रही थी। ऐसे में प्रेमिका ने अपने पिता यानी कि किलेदार को बताया कि वह एक नट से प्यार करती है और शादी करना चाहती है। यह सुन पिता काफी नाराज हुए। लेकिन बेटी के जिद के आगे वह मान गए। लेकिन साथ ही एक शर्त भी रखी। किलेदार ने शर्त यह रखी कि अगर यह नट सूत की रस्सी पर चलकर केन नदी पार करके आता है, तो वह अपनी बेटी की शादी इससे कर देगा। नट ने किलेदार की बात मान ली।
नट ने यह शर्त पूरी करने के लिए मकर संक्रांति का दिन चुना। फिर नट ने सूत की रस्सी बांधकर उस पर चलना शुरू किया। नट लगभग आधी से ज्यादा नदी पार कर चुका था, लेकिन तभी राजा ने वह रस्सी काट दी, जिससे उसकी मौत हो गई। उसकी याद में किले के पास एक मंदिर बनवाया गया। जहां हर मकर संक्रांति पर प्रेमी जोड़े मन्नत मांगने आते हैं।