मुसाफिर

मुसाफिर है सारे यहां....

जाना किधर है

किसी को नहीं पता 

बस चल रहे हैं 

यहां से वहां 

मुसाफिर है सारे यहां.....


ना मंजिल का पता है 

ना खुद का है पता है

बस भटक रहे हैं 

यहां से वहां 

मुसाफिर है सारे यहां....


 जो जिधर चला

 सब उसी के पीछे 

चल रहे सब भेड़ चाल 

यहां से वहां 

मुसाफिर है सारे यहां.....


 जो चले लीक से हटकर 

उसे समझती है दुनिया

धरा का महामूर्ख 

यहां से वहां 

मुसाफिर है सारे यहां......


जिसने चलके दिखाया 

जमाने से अलग 

नाम उसका हुआ रौशन 

यहां से वहां 

मुसाफिर है सारे यहां......


मुम्बई

सुमंगला सुमन