भाग्य मे विधाता से कुछ नहीं मिला
धरती की कोख से पानी नहीं मिला
रहने को भूमि मिली बंजर मरुधरा
फिर भी दुर्भाग्य का हमें नहीं गिला
खाने को दो फाग का बाजरा मिला
पीने का पानी भी बारिश का मिला
खेजड़ी के साथ अरावली की पहाड़ी
मौसम में हम को अकाल ही मिला
जौहर जलती रही ज्वाला में मिला
शाखा केसरिया बाना पहनें मिला
स्वाभिमान से हम जिवन को जीते
शौर्य से हल्दीघाटी गाटी मे युध मिला
देश को इतिहास राजस्थान से मिला
धर्म की रक्षा हेतु हम को युध मिला
मातृभूमि की प्यास भी लहू से बुझाई
फिर भी जन गण में स्थान नहीं मिला
लीलाधर चौबिसा (अनिल)
चित्तौड़गढ़ राज. 99829246588