अमावस की अंधेरी रात में दियों की रोशनी से
जगमग घर को दुल्हन की तरह सजाया जाता
मां लक्ष्मीजी के स्वागत का दिन होता दीपावली
क्षमता अनुरूप त्यौहार आनंद से मनाया जाता।
चारों दिशाओं का हर कोना साफ स्वच्छ रखते
लक्ष्मीजी हर घर के द्वार पर दस्तक जो देती है
वंदनवार, शुभ-लाभ, लक्ष्मीजी के चरण लगाते
स्वागत के लिए रंग-बिरंगी रंगोलियां सजाते है।
जब पूरा परिवार मिलके महालक्ष्मी की कृपा,
धन प्राप्ति के लिए उनका पूजन-अर्चन करता
शास्त्रों के महत्व से यह दिन होता बड़ा अदभुत
दियों की रोशनी मां के स्वागत में आतुर होता।
रोशनी के त्यौहार में खुशियों का जश्न मनाता
दियों से आंगन सुशोभित हो परंपराएं निभाता
आपस में संगठित होकर भाईचारा निभाते हुए
वाकई में दीपावली उत्साह, उमंग का पर्व होता।
इस दिन घर-घर में देवी लक्ष्मी के सत्कार हेतु
मिष्ठान, पकवान, धानी आदि का भोग लगाते
देवी कृपा पाने को घर के दरवाजे खुले रखते
नए वस्त्र, आभूषण धारण से अभिनंदन करते।
इस दिन ओम महालक्ष्मी नमः मंत्र जाप करते
देवी आराधना सब मिल पूरे मन से पूर्ण करते
लक्ष्मीजी प्रसन्न होकर कृपा सब पे बरसाती है
घर धन-धान्य एवं समृद्धि से परिपूर्ण होता रहे।
डॉ. मनीष दवे, महालक्ष्मी नगर, इंदौर