श्री का स्वागत

आज द्वार पर सजी हुई है सतरंगी रंगोली।        

मात लक्ष्मी के आवन को द्वार सजाए आली।                         

माते श्री आन विराजो मेरा घर द्वार सजा दो।   

      

तेरे स्वागत को माता मैं फूलन द्वार सजाऊं, 

तुम्हें रिझाने को मां श्रेया बंदनवार बंधाऊं। 

बना स्वास्तिक दीप जलाऊं औ सतरंग रंगोली ।                    

मात लक्ष्मी के आवन को द्वार सजाए आली।    

माते श्री आन विराजो मेरा घर द्वार सजा दो।  


पचरंगी पकवान बनाऊं क्षीर की खीर सजाऊं।                     

पान सुपारी बर्फी मेवा यज्ञ होम करवाऊं। 

मृदुल मधुर मैं गीत सुनाऊं कोकिल कंठों वाली।       

मात लक्ष्मी के आवन को द्वार सजाए आली।         

माते श्री आन विराजो मेरा घर द्वार सजा दो।


मुख मण्डल ब्रह्माण्ड समाया चिर सुख देने वाली

तेरी दया बिन तेरी माया सबकी है झोली खाली                   

हीरा पन्ना सोना चांदी सुख अन्न धन देने वाली            

मात लक्ष्मी के आवन को द्वार सजाए आली।     

माते श्री आन विराजो मेरा घर द्वार सजा दो।    


लाल ही सिंदुरा लाल ही बिंदिया फुलवा लाल चढ़ाऊं 

लाल ही कंगना पहन के अलका साजन संग मनाऊं

गोटे वाली लाल चुनरिया मां संग ओढ़न वाली

मात लक्ष्मी के आवन को द्वार सजाऊं आली।     

माते श्री आन विराजो मेरा घर द्वार सजा दो।   


आज द्वार पर सजी हुई है सतरंगी रंगोली।        

मात लक्ष्मी के आवन को द्वार सजाए आली।        

माते श्री आन विराजो मेरा घर द्वार सजा दो।   


डॉ0 अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'

लखनऊ उत्तर प्रदेश।