लगातार लुढ़क रहा है कच्चा तेल, 4 माह के लो पर आईं कीमतें

नयी दिल्ली : कच्चे तेल की कीमत में गिरावट का रुख जारी है और यह चौथे साप्ताहिक नुकसान की ओर बढ़ रहा है। तेल की अच्छी सप्लाई और बढ़ते भंडार के संकेतों ने ओपेक़ लीडर्स सऊदी अरब और रूस की ओर से गिरावट को नियंत्रित रखने के प्रयासों को विफल कर दिया है। रॉयटर्स के मुताबिक, तेल की कीमतें गुरुवार को लगभग 5% गिरकर चार महीने के सबसे निचले स्तर पर आ गईं। 

ब्रेंट वायदा 3.76 डॉलर या 4.6% गिरकर 77.42 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ। यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड (डब्ल्यूटीआई) 3.76 डॉलर या 4.9% गिरकर 72.90 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, यह सितंबर के अपने उच्चतम स्तर से 20 प्रतिशत से ज्यादा नीचे आ चुका है। 

यह गिरावट अमेरिकी कच्चे माल के भंडार में वृद्धि के बाद आई। इससे पहले ब्रेंट और डब्ल्यूटीआई दोनों ने 7 जुलाई के बाद से अपने सबसे निचले स्तर क्रमशः 76.60 डॉलर और 72.16 डॉलर पर कारोबार किया। डब्ल्यूटीआई और ब्रेंट दोनों के फ्रंट मंथ कॉन्ट्रैक्ट्स, बाद के कॉन्ट्रैक्ट्स से नीचे कारोबार कर रहे थे। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन और उसके सहयोगियों द्वारा सामूहिक और स्वैच्छिक आपूर्ति में कटौती के बावजूद कच्चे तेल की कीमत में लगातार चार सप्ताह से गिरावट है। 

यह मई के बाद से सबसे लंबी गिरावट है। गिरावट को इजराइल-हमास के बीच बढ़ते संघर्ष से भी बढ़ावा मिला है क्योंकि डर है कि यह संघर्ष और आगे बढ़ेगा और तेल आपूर्ति बाधित होगी, जो अब तक नहीं हुई है। वहीं अनएंप्लॉयमेंट बेनेफिट्स के लिए नए दावे दाखिल करने वाले अमेरिकियों की संख्या पिछले सप्ताह तीन महीने के हाई पर पहुंच गई। 

यह अमेरिका में मंदी का संकेत है। अमेरिका, कच्चे तेल का सबसे बड़ा कंज्यूमर है। इससे पहले सामने आया था कि अक्टूबर में सात महीनों में पहली बार अमेरिकी खुदरा बिक्री में गिरावट आई है क्योंकि मोटर व्हीकल की खरीद और हॉबीज पर खर्च में गिरावट आई है। इसने चौथी तिमाही अक्टूबर-दिसंबर की शुरुआत में धीमी मांग की ओर इशारा किया, जिससे फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद को और बल मिला।