नौ रूपों की महारानी।

माता रानी के नौ रूपों में,

सबके मन को भाती है।

प्रथम रूप में माता रानी,

शैलपुत्री कहलाती है।


ब्रह्मचारिणी है मां का एक रूप,

सबके मन में जले जैसे एक दीप।

सबकी मनोकामना पूरी होती,

जब हम सब मिलकर पूजा अर्चना करते,

मानकर चलते मिले संदीप।


चंद्रघंटा है मां का है तीसरा रूप,

सबके मन को आनंदित कर देती,

बना देती है मां यह अद्भुत स्वरूप।

कूष्माण्डा  की कृपा देती है धून।

निर्मल और और पवित्र मन से देवी,

जनजन तक पहुंचाती खूब सुकून।


पंचम रूप में कहलातीं स्कंदमाता,

सबकी है कहलातीं भाग्यविधाता।

कात्यायनी देवी की हम करते आह्वान

सबमें मधुर संगीत का दिखता राग व गाण।


कालरात्रि महागौरी है एक सुंदर नाम,

सबमें मधुर गीत की है कृपा निधान।

अष्टम रूप महागौरी कहलाती,

सबके मन में सुकून और खुशियां भर जाती।


सिद्धिदात्री है माता रानी का नौवां नाम,

सब दिल से करतें हैं प्रणाम।

यह है माता रानी के नौ श्रंगार।

हम सब रहते हैं गुलजार।


डॉ ०अशोक, पटना, बिहार।