सुख खरीदा नहीं जा सकता, अनुभव किया जा सकता है।

आखिर असली सुख है क्या। मनुष्य की बहुत बड़ी गलतफहमी है कि असली सुख पैसे में है। बल्कि असली सुख तो मेहनत में है।

अपने खून पसीने की कमाई से जो व्यक्ति एक रोटी भी कमाता हो  वही सबसे बड़ा सुखी व्यक्ति है। कभी भी किसी का बुरा नहीं सोचना चाहिए ना ही किसी के साथ बुरा करना चाहिए।

दूसरी गलतफहमी यह भी है मनुष्य में कि हम पाप करते रहे और भगवान की पूजा करते रहें और हमारे पाप जो है नष्ट होते जाएंगे। जबकि धोखे से हुई गलती को ही भगवान माफ करता है लेकिन अगर जानबूझकर आप गलत काम करते हैं और उसके बाद आप कितनी भी पूजा कर ले कितने भी हवन कर ले भगवान का आशीर्वाद आपके ऊपर कभी नहीं होगा। 

एक बार एक राजा जंगल में जा रहा था कि एक आदमी अपनी झोंपड़ी के द्वार पर सोया हुआ था।

झोंपड़ी खुली थी। राजा अपने घोड़े से उतरा और झोंपड़ी के अन्दर गया और बाहर आ गया।

राजा सोचने लगा कि यह आदमी देखों कितने सुख से सोया हुआ है।

राजा वहाँ लिखता है कि "ओ सुख की नींद सोने वाले सुख की नींद मुझे दे। मैं तुम्हे धन से माला माल कर दूंगा" और चला गया।

एक दिन फिर वहां से निकला तो क्या देखता है कि जहाँ राजा ने लिखा था उसके साथ लिखा था "ओ मूर्ख पैसों से सुख की नींद खरीदी नहीं जा सकती।

सुख मन का होता है।

एक मेहनती इन्सान काम करता है तो उसे ख़ुशी होती है।

अगर वही काम कोई आलसी करता है तो वह बोझ महसूस करता है।

सुख को किसी जगह फिट नहीं किया जा सकता है।

दुनिया का हर अच्छा काम सुख का अनुभव कराता है।

कर्जा न हो सेहत अच्छी हो और सत्य का आचरण हो।

बुराई अगर सौ परदों में भी की जाये तो मन में भय उत्पन्न होता है। भय का होना ही दुःख का कारण है।

भगतसिंह फांसी के फंदे को ही सुख मानता था।वो चाहता तो छूट सकता था।

कुदरती साधनों का इस्तेमाल करना सुख का साधन होता है..!!हम सबको समझना होगा कि हम किस रास्ते पर जा रहे हैं।


लेखिका-ऊषा शुक्ला

11 एवेन्यू

गौर सिटी

ग्रेटर नोएडा