वातावरण अच्छा नहीं हैं।

हमारे शहर  का वातावरण अच्छा नहीं हैं।

जुबां ख़ामोश होके  जुबां ख़ामोश नहीं हैं।


गुनाहों के नित यहाँ तादाद बढ़ते जा रहें हैं।

गुनाहगारों को लेकिन सजा मिलता नहीं हैं।


बहुत बेखौफ़ होकर दरिनदें अपराध करतें हैं।

कभी इनको मौत का पैगाम आता नहीं हैं।


हवाओं का मिज़ाज  भी बदला- बदला  हैं।

हमारे घर का पानी कहीं दूषित तो नहीं हैं।


जिसे देखों वहीं एक दूसरे से परेशां क्यों हैं।

स्वयं को आजकल लोग समझते ही नहीं हैं।


नाम:- प्रभात गौर 

पता:-नेवादा जंघई प्रयागराज उत्तर प्रदेश