आओ एक बार ...................

सजल नेत्रों से तकती हूँ 

तस्वीरें   राम कृष्ण  की 

कर क कल्पना मन ही मन में 

था  दोनों का जीवन

जन मानस को अर्पण 

आज जब बढ़ रहा पाप

इतना धरती पर तो 

लेते  नहीं क्यों जन्म ये दुबारा 

विचलित हो उठे थे 

जब देख एक कंस व् रावण

तो हुआ आज क्या है 

लेकर नाम राम का 

लोग लड़ रहे हैं चारों ओर 

चल रही है जंग तुम्हारी नगरी  

जहाँ बरसती थी खुशियाँ सदा 

जलते थे घी के दिए 

वहीँ बह रहा आज खून है 

आओ एक बार फिर इस धरा पर 

कर दो जागृत मानव की सुप्त आत्मा को 

आओ न एक बार और देखो आज 

बिक रहा इन्सान किस तरह दानवता 

के बाज़ार में ......

मची है हा - हा कर हर ओर 

प्रीत भूले हैं सब , आओ फिर बजा कर 

मुरलिया सुना दो गीत प्रीत का सब को 

आओ फिर संहार कर दुष्टों का 

दे दो शांति का जनादेश 

आओ एक बार 

फिर धरा पर हे राम हे कृष्ण 

आओ एक बार 

फिर धरा पर हे राम हे कृष्ण 

(मीनाक्षी सुकुमारन )

        नोएडा