नारी शक्ति का सम्मान

नारी सशक्तिकरण का सही मतलब  

आंतरिक शक्ति को जागृत करना है 

बाहरी मुश्किलों से बचना कतई नहीं

आत्मविश्वास, आत्म-सम्मान, आशा से 

अपने आपको मजबूत बनाना ही होगा 

छोटे-बड़े कामों में सहभागिता लेकर 

लक्ष्य से उपलब्धियां हासिल करना है।

सफलता मिलने पर शाबाशी पा लेना 

ऊर्जावान होकर जज़्बात जगा लेना

हर खुशी से रुप, सौंदर्य को बढ़ा लेना 

किसी रचनात्मक कार्य में लगे रहने से

सकारात्मक सोच का प्रभाव होता है

सीखने की कोई उम्र कम नहीं होती 

सदा सीखने के दरवाजे खुले रखना है।

 जिंदगी के अंतिम प्रहर में ओजस मन

सीखने की कवायत सलामत रखता है 

महिलाओं का हर क्षेत्र में आगे बढना

बुद्धिमानी के पैमाने पर सम्मान पाना 

गौरव और गरिमा का विषय ना बनें तो

पुरुषों के साथ तुलनात्मक व्यवहार से 

परिवार एवं समाज का पूरक बनाना है।

वर्तमान दौर बहुआयामी प्रतिभा का है

महिलाएं किसी से कम नहीं, पीछे नहीं 

इंटरनेट व ऑनलाइन के प्रत्येक काम 

स्किल्स एवं हुनर को सीखकर बढना 

महिलाओं को काबिलियत पर भरोसा 

महिलाओं की शक्ति और खूबसूरती है 

जो वरदान बन उन्हें आभूषित करेगी।

डॉ.मनीष दवे, महालक्ष्मी नगर, इंदौर