तीन दिवसीय आजमगढ़ साहित्य महोत्सव-का दीप प्रज्ज्वलित कर एवं मॉ सरस्वती के चित्र प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शुभारम्भ किया गया।

आजमगढ़ : जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज एवं मुख्य विकास अधिकारी परीक्षित खटाना द्वारा संयुक्त रूप से हरिऔध कला केन्द्र आजमगढ़ में आयोजित आजमगढ़ साहित्य महोत्सव-2024 (दिनांक 23 से 25 फरवरी 2024) का दीप प्रज्ज्वलित कर एवं मॉ सरस्वती के चित्र प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शुभारम्भ किया गया।

इस अवसर पर श्री भवानन्द महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा सरस्वती वन्दना एवं स्वागत की प्रस्तुति की गयी।

जिलाधिकारी ने कहा कि इस कला केन्द्र का नाम आजमगढ़ के प्रसिद्ध मनीषी के नाम पर रखा गया है, यह हम लोगों के लिए बहुत ही उपयुक्त भी है कि पहला साहित्यिक महोत्सव एक ऐसे प्रांगण में हो, जो आजमगढ़ की साहित्यिक विरासत को स्पष्ट करता हो। 

उन्होने कहा कि मै आशा करता हुं कि नई पीढ़ी, बच्चे, विद्यार्थी, यहां जो परिचर्चाएं होंगी, उनमें श्रोता के रूप में भी और उनका भी सीधे तौर पर योगदान रहेगा। उन्होने कहा कि शासन की भावनाओं को जोड़ते हुए जिला प्रशासन का यह प्रयास था कि जो सांस्कृतिक एवं साहित्यिक विरासत है, उसको एक बार पुनः बाहर निकाला जाय और विशेष रूप से जो युवा पीढ़ी हैं, उनको इसके साथ जोड़ा जाय। उन्होने कहा कि स्कूलों/कालेजों में पढ़ने वाले बच्चों को इस लिटरेली फेस्टीवल के साथ जोड़ने का प्रयास किया गया है।

 कई पीढ़ियां यहां पर एक साथ हैं और यह एक सबसे सुखद बात है कि हमारे बुजुर्ग जो इस परम्परा को नई पीढ़ी के हाथों में सौंपेंगे और उनके मार्गदर्शन में आने वाली पीढ़ी साहित्य व संस्कृति को एक नये आयाम देंगे। उन्होने कहा कि कार्यक्रम के अन्तर्गत पुस्तकालयों का कैसे उन्नयन करें और इस डिजिटल युग में साहित्य का क्या स्थान होगा, कैसे हम अपनी पुरानी कृतियों को डिजिटाइज करके उन्हें संरक्षित करेंगे, हमारे सामने क्या चुनौतियों होंगी। 

आज के डिजिटल क्रांति के समय में हमें क्या अवसर मिलेगा, यह चर्चा के विषय रहेंगे। इसी के साथ ही साहित्य के पुरोधा जिनका आजमगढ़ के साथ जुड़ाव है, जो इस मिट्टी से निकले हैं और जिन्होने हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी है, उनका समसामयिक युग में अभी भी क्या योगदान है, उनकी कृतियों का आज के समय में क्या महत्व है, इस पर चर्चाएं होंगी। उन्होने कहा कि यही उम्मीद है कि जनपद वासियों के लिए हिन्दी, संस्कृत व उर्दू साहित्य से जो लोग जुड़े हुए हैं, उनके लिए यह 03 दिन बहुत ही लाभकारी होंगे। इसके बाद हम लोगों को आपका फीडबैक चाहिए होगा कि इसको हम कैसे और सुधारें। इसका अगला संस्करण आगामी वर्षां में आयेगा।

 उन्होने कहा कि हमारा प्रयास रहेगा कि यह हमारे कैलेण्डर का एक फिक्स इवेन्ट हो, जिससे हर साल इसको हम करायें, जो राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी देखा जाय और सुना जाय। 

इसी के साथ ही जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी द्वारा जनपद के प्रमुख साहित्यकारों, कवियों, लेखकों में- डॉ0 राजाराम सिंह, डॉ0 कन्हैया सिंह,  मुधकर अस्थाना, इं0 रामनयन शर्मा, डॉ0 द्विज राम यादव, डॉ0 प्रवेश सिंह, डॉ0 ईश्वरचन्द त्रिपाठी, प्रो0 गीता सिंह, प्रो0 वेद प्रकाश उपाध्याय, जन्मेजय पाठक, डॉ0 शशिभूषण ‘प्रशान्त’,  हरिहर पाठक, डॉ0 मोनिका शर्मा, डॉ0 जगदम्बा प्रसाद दूबे, प्रो0 मदन मोहन पाण्डेय, डॉ0 पंकज सिंह, डॉ0 आशा सिंह, डॉ0 प्रतिभा सिंह,  मैकश आजमी, डॉ0 विनम्र सिंह, विजयेन्द्र प्रताप श्रीवास्तव एवं स्व0 पारस नाथ गोवर्धन, स्व0 राम प्रकाश शुक्ल निर्मोही के परिजन को अंगवस्त्र एवं मोमेण्टो देकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर मुख्य राजस्व अधिकारी  विनय कुमार गुप्ता, अपर जिलाधिकारी वि0/रा0  आजाद भगत सिंह, मुख्य कोषाधिकारी  अनुराग श्रीवास्तव, उपायुक्त उद्योग एस एस रावत सहित संबंधित अधिकारीगण एवं विभिन्न विद्यालयों के छात्र/छात्राएं एवं अध्यापकगण उपस्थित रहे।