हम चुनावी भाषण बेचते हैं

संसद की चुनावी सरगर्मियां जोरों पर हैं।  चुनाव होने वाले हैं, जोशखरोश और अजीब गर्मी से सराबोर हैं। पोस्टर, बैनर और लाउडस्पीकर के माध्यम से प्रचार प्रसार शुरू हो रहा है। एक जगह मैंने देखा बोर्ड पर लिखा था यहां "हम चुनावी भाषण बेचते हैं।" यानी रेडीमेड... वाह यह तो बहुत बड़ा विकास है हमारे देश में। बना बनाया वक्तव्य या व्याख्यान या भाषण। 

मैं उस जगह पहुंचा और पूछा "क्यों भाई यह सब क्या है?"

बोला "मेक इन इंडिया है। रोजगार का एक ज़रिया है। अपनी प्रतिभा दिखाने का हमने खुद अवसर खोज निकाला है। चुनाव के लिए सटीक भाषण उतना ही ज़रूरी है जितना सुहागन के लिए सिंदूर, नेताओं के लिए झूठ। हर एक मौके और हर एक व्यक्ति को ध्यान में रखकर हम भाषण तैयार करते हैं।"

"वह कैसे?"

"हमने एक ऐप बनाया है अपने कंप्यूटर में। इसमें जहां जहां चुनाव हो रहे हैं वहां की स्थितियां, समस्याएं और सामयिक बातें डाल दी हैं। जो भी व्यक्ति भाषण देगा उसके पक्ष को ध्यान में रखकर वहां से आप जिस भाषा में, जितना लंबा भाषण चाहते हो वैसा ही आपको पांच मिनट में तैयार मिलेगा। आप चाहो तो कागज़ पर प्रिंट ले लो, मोबाइल में कॉपी कर लो या टेलीप्रॉम्पटर पर डाल लो।"

"यह तो बहुत ही उम्दा व्यवस्था किए हो। अब उदाहरण के लिए यह बताओ कि विपक्ष का संसद के आम चुनाव का चुनावी भाषण कैसा होगा?"

उसने मुझे गौर से देखा और पूछा - "आप कहीं हमारे प्रतिद्वंद्वी बनने के फिराक में तो नहीं। सारे राज जानकर आप अलग से यही धंधा करके हमारे पेट पर लात मारने के फेर में तो नहीं हो!"

"मुझे देखकर ऐसा लगता है तुम्हें। कौतूहलवश जानने आया था। बस। आप नहीं बताना चाहो तो मत बताओ। वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूं मैं एक पत्रकार हूं।" 

"अच्छा। ऐसा। आप तो जानते हो कि इस प्रतियोगिता वाले युग में हर किसी को शक की निगाह से देखना पड़ता है। आप हमारे बारे में एक लेख लिखें और छपवाएं तो हमारा भी भला हो जाएगा।" 

"ठीक है। ऐसा ही करूंगा लेकिन मैंने जो पूछा...?"

"हां! वही आता हूं। सत्ता पक्ष जो केंद्र में है, के विपक्ष वाले अपने चुनावी भाषण में साढ़े नौ साल का भ्रष्टाचार, सिंचाई में कमी, बाप बेटा वाद, धार्मिक उन्माद, आम जनता की सुविधाओं और कल्याण में कमी, सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग, बेरोजगारी में वृद्धि, दैनिक वस्तुओं की लगातार बढ़ती मंहगाई आदि मुद्दों पर भाषण रहेगा।" उसने अपने ऐप को मोबाइल में देखते हुए कहा।

"और सत्तापक्ष अपने चुनावी भाषण में क्या कहेगा?"

" भारत का विकास, विकसित भारत,परंपरावाद, परिवारवाद, वंशवाद, हिंदू धर्म के शत्रु और नेहरू, जिन्होंने पचास पचपन साल साल पहले ही 2014 में प्रधानमंत्री बनने वाले व्यक्ति की राहों में कांटे बोए, यही सब होगा इस भाषण में"

"वाह। बहुत खूब। बेहतरीन ऐप है आपका। क्या नाम है इस ऐप का?"

"इसका नाम हचुभाबे ऐप। मतलब हम चुनावी भाषण बेचते है ऐप।"

"सुंदर। लेकिन यह बताओ, एक भाषण का कितना चार्ज करते हो?"

"यह निर्भर करता है कि भाषण किसके लिए चाहिए। उसके और प्रिंट आउट, कॉपी या टेलीप्रॉम्पटर के हिसाब से कीमत तय होती है। कम से कम दस हजार से पचास हजार तक एक भाषण पड़ेगा।"

"अच्छा। अब तक कितने भाषण बिके?"

"जो जो उदाहरण आपने पूछा उन्हीं के अब तक बीस भाषण बड़े बड़े नेताओं ने खरीदे। दो चार दिनों से यही भाषण उन चुनावी क्षेत्रों में गूंज रहे हैं।"

डॉ0 टी0 महादेव राव

विशाखापटनम (आंध्र प्रदेश) 9394290204