वृन्दावन के कण कण में विद्यमान हैं भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा रानी : स्वामी गिरीशानंद सरस्वती

मथुरा / वृन्दावन। छटीकरा रोड़/ गोपालगढ़ स्थित श्रीराधा गिरधर गोपाल मन्दिर में सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव में व्यासपीठ पर आसीन प्रख्यात संत स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी के द्वारा सभी भक्तो-श्रृद्धालुओं को महारास लीला, कंश वध एवं भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणि के विवाह की कथा श्रवण कराई। 

साथ ही भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणि की भव्य झांकी सजाई गई और विवाह से सम्बन्धित बधाइयों का गायन किया गया। स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज ने सभी भक्तों-श्रृद्धालुओं को श्रीधाम वृन्दावन की महिमा बताते हुए कहा कि श्रीधाम वृन्दावन भगवान श्रीकृष्ण और उनकी आल्हादिनी शक्ति श्रीराधारानी की लीला भूमि है।

वे आज भी यहां के कण-कण में विद्यमान हैं।यहां आने के लिए देवगण भी लालायित रहते हैं। आप सभी अति बड़भागी हैं, जो आप सब पर श्रीजी की कृपा हुई और श्रीधाम वृन्दावन आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। क्योंकि श्रीजी की कृपा बिना धाम प्राप्ति सम्भव नहीं है। पूज्य महाराजश्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने 11 वर्ष की आयु में मथुरा के राजा आतातायी कंस का नाश करके समस्त ब्रजवासियों को उसके अत्याचारों से मुक्त किया।साथ ही महाराज उग्रसेन का राजतिलक करके मथुरा नगरी में पुनः धर्म की स्थापना की। रात्रि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आश्रम के ऑडिटोरियम में दिव्य व भव्य ब्रज की रासलीला का अत्यंत नयनाभिराम व चित्ताकर्षक मंचन किया गया।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र,अखंडानंद आश्रम के स्वामी डॉ. गोविंदानंद सरस्वती महाराज, उमा शक्ति पीठ के राष्ट्रीय प्रवक्ता पंडित आर. एन. द्विवेदी (राजू भैया), एस.पी. ट्रैफिक देवेश कुमार शर्मा, एस.पी. क्राइम अवनीश कुमार मिश्रा, महोत्सव के संयोजक प्रदीप टीबड़ेवाल, आदर्श, उदित टीबड़ेवाल, राजेंद्र प्रसाद खेतान, सरला खेतान व साहित्यकार गोपाल चतुर्वेदी आदि उपस्थित रहे।