कही नही पाती हूँ।

खोज लेती हूँ। 

मैं हर वस्तु को,

रखी हो चाहे कही भी।

छुपी हो चाहे,

घर के किसी भी कोने में ।

तलाशती हूँ उसे,

और ढूंढ़  निकाल  लेती हूँ। 

पिन से लेकर फाईलें  तक,

छोटी से लेकर बड़ी तक,

हर वस्तु को खोज लेती हूँ। 

घर में, 

छत में, 

अलमारियो में, 

दराजों में, 

रसोई में, 

और भी न जाने  कहाँ, कहाँ, 

पर स्वयं को इस संसार में, 

कही नही खोज पाती हूँ। 


गरिमा राकेश 'गर्विता' 

कोटा,राजस्थान