नई दिल्ली। एडिलेड में शर्मसार होने के बाद मेलबर्न में टीम इंडिया ने जीत का स्वाद चखा था। सिडनी में आर अश्विन और हनुमा विहारी की जोड़ी के आगे कंगारू बॉलिंग अटैक हारा था और तीसरे टेस्ट ड्रॉ पर छूटा था। भारतीय टीम की हालत खस्ता थी। आधे से ज्यादा खिलाड़ी चोटिल थे, तो विराट कोहली स्वदेश लौट चुके थे। कप्तान अजिंक्य रहाणे के लिए प्लेइंग 11 तैयार करना मुश्किल हो रहा था।
टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया से चौथे टेस्ट में उस मैदान पर भिड़ना था, जहां दुनिया की कोई भी टीम पिछले 32 सालों में कंगारुओं को पटखनी नहीं दी थी। वो मैदान गाबा का था। प्रदर्शन के साथ-साथ भारतीय टीम पर उम्मीदों का भी बड़ा दबाव था। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ियों के तीखे बयान भी टीम इंडिया के हौसलों पर वार कर रहे थे।
टेस्ट मैच की शुरुआत से पहले ना तो भारतीय खिलाड़ी और ना वर्ल्ड क्रिकेट को इस बात का अंदाजा था कि गाबा में इतिहास रचा जाने वाला है। अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में भारतीय टीम ने गाबा में कंगारुओं का घमंड चकनाचूर करते हुए ऐसी जीत दर्ज की थी, जिसको टेस्ट क्रिकेट इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज किया गया।
ऑस्ट्रेलिया ने गाबा में पहले बल्लेबाजी करते हुए 369 रन बनाए थे। इसके जवाब में भारतीय टीम 186 के स्कोर पर छह विकेट गंवाकर मुश्किल में थी। कंगारू बॉलर्स पूरी तरह से हावी थे और ऑस्ट्रेलिया बड़ी बढ़त की ओर बढ़ रही थी। हालांकि, इसके बाद शार्दुल ठाकुर और वॉशिंगटन सुंदर की जोड़ी ने जो किया, वो भारतीय टीम के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था।
टेस्ट डेब्यू कर रहे सुंदर शार्दुल के साथ मिलकर खूंटा गाड़कर खड़े हो गए और दोनों ने मिलकर सातवें विकेट के लिए 123 रन की यादगार साझेदारी निभाई। सुंदर ने 62 रन बनाए, तो शार्दुल के बल्ले से 67 रन निकले। भारतीय टीम पहली पारी में 336 रन बनाने में सफल रही।
भारतीय टीम के सामने अब सबसे बड़ा चैलेंज था कि दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया को सस्ते में समेटना, क्योंकि इस मैदान पर चेज करना आसान काम नहीं था। गेंद से टीम के लिए मसीहा बनकर सामने आए मोहम्मद सिराज और शार्दुल ठाकुर। सिराज ने कंगारू टीम के टॉप ऑर्डर को तहस-नहस किया, तो ठाकुर ने निचले क्रम का सफाया किया। हालांकि, इसके बावजूद ऑस्ट्रेलिया 294 रन बनाने में सफल रही। अब भारतीय टीम के सामने लक्ष्य 328 रन का था।
लक्ष्य काफी बड़ा था और टीम इंडिया को दमदार शुरुआत की दरकार थी। हालांकि, हुआ इसका ठीक उल्टा। रोहित शर्मा सिर्फ 7 रन बनाकर पैट कमिंस का शिकार हो गए और मैदान पर सन्नाटा छा गया। इसके बाद चेतेश्वर पुजारा ने शुभमन गिल के साथ मिलकर मोर्चा संभाला। गिल ने अटैकिंग अप्रोच अपनाई, तो पुजारा एक छोर संभालकर खड़े रहे। दोनों ने दूसरे विकेट के लिए 118 रन जोड़े। गिल शतक से चूक गए और 91 रन बनाकर आउट हुए।
पुजारा क्रीज पर डटे रहे और उनके शरीर पर ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाजों ने अपनी रफ्तार के दम पर एक के बाद वार किए। हालांकि, इसके बावजूद कंगारु बॉलर्स पुजारा का हौसला नहीं डिगा सके। कप्तान रहाणे 24 रन बनाकर आउट हुए। पुजारा 211 गेंदों का सामना करने के बाद कमिंस की गेंद पर आउट हो गए। भारतीय टीम की दीवार गिर चुकी थी और अब इंडियन खेमे में खलबली मच चुकी थी। स्कोर बोर्ड पर 228 रन लगे थे और अभी जीत दूर थी।
पुजारा के पवेलियन लौटने के बाद टीम इंडिया को जीत दिलाने का जिम्मा ऋषभ पंत ने अपने कंधों पर लिया। पंत बिना किसी दबाव के अपने बिंदास अंदाज में खेले और उन्होंने कंगारू खेमे में खलबली मचा दी। पंत के आगे कंगारू गेंदबाजों का हर दांव फेल हो रहा था और भारतीय टीम जीत की ओर बढ़ रह थी। पंत ने अपनी इस पारी के दौरान कुछ मौके भी दिए, पर कंगारू टीम उन मौकों को भुना नहीं सकी।
96वें ओवर की आखिरी गेंद पर पंत ने हेजलवुड की गेंद पर सामने की ओर शॉट लगाया और बॉल फील्डर को मात देते हुए बाउंड्री लाइन के पार निकल गई। शॉट को खेलते ही पंत ने दोनों हाथ हवा में उठा लिए और पूरा भारतीय खेमा चंद सेकंड में मैदान पर आ गया। पंत और टीम इंडिया ने वो कर दिखाया था, जिसकी कल्पना शायद ही किसी ने की होगी। मैदान पर जमकर जश्न मना और पूरे वर्ल्ड क्रिकेट ने रहाणे की इस टीम को सलाम ठोका।