मेरी आंखों में पनपा आंसूं
अक्सर ढुलक आता है
तुम्हारी आंखों के कोनों से ,
तभी तो,
मेरे इंतज़ार में शामिल होती हैं
संग-संग
तुम्हारी राह तकती आंखें भी
उतना ही ,
अक्सर पढ़ जाते हो
मेरी परेशानियों को
उतनी ही बेचैनियत से
तुम भी ,
शायद इसीलिए
ये दुनिया गोल बनाई है
ईश्वर ने कि
संग-संग महसूस सकें
एक-दूसरे को
पूरी तन्मयता से,,है न !!
नमिता गुप्ता "मनसी"
मेरठ, उत्तर प्रदेश