बाल रूप राघव

बाल रूप राघव का मन में बसी छवि का,         

 गर्भ गृह आसन पे मंद मुस्कुराते हैं।                


नजर उतारे मैया भवन में ता ता थैया।                

खेलत हैं चारों भैया गिर उठ जाते हैं।               


राजन खुशी है भारी बलि जाते बलिहारी          

खुश  सारे  नर  नारी  मृदंग  बजाते  हैं।                  


पुष्पों से सजा अवध लड्डू बांटते मगध।             

 राम  राज  की  सुगंध  चहुं  महकाते हैं।    

             

डॉ0 अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'

लखनऊ उत्तर प्रदेश।