फर्क

जमीन और आसमान में

फर्क होता है।

झूठ और सच में

फर्क होता है।

मोहब्बत और नफरत में

फर्क होता है।

अपने और पराये में

फर्क होता है।

जीत और हार में

फर्क होता है।

दिमाग और दिल में

फर्क होता है।

जायज और नाजायज में

फर्क होता है।

हकीकत और कल्पना में

फर्क होता है।

गुरु और शिष्य में

फर्क होता है।

जीवन और मृत्यु में

फर्क होता।

आदि और अंत में

फर्क होता है।


डॉ.राजीव डोगरा

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कांगड़ा हिमाचल प्रदेश

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