इस्लामाबाद : पाकिस्तानी नौसेना ने कहा है कि अरब सागर में युद्धपोत तैनात करने का पाकिस्तान का फैसला अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में अपनी समुद्री सुरक्षा बनाए रखने के लिए है, न कि यमन के हुती विद्रोहियों के खिलाफ किसी खास देश की मदद करने के लिए। संबंधित कदम के बारे में पाकिस्तानी नौसेना के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि जहाजों की तैनाती का उद्देश्य यमन के हुती विद्राहियों के खिलाफ किसी देश की मदद करना नहीं है। यमन के हुती विद्रोहियों ने गाजा में फलस्तीनियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए अदन की खाड़ी और अरब सागर में वाणिज्यिक जहाजों के अपहरण और अपहरण के प्रयासों की जिम्मेदारी ली है।
प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तानी नौसेना का रुख भी सरकार जैसा ही है कि वह युद्धग्रस्त गाजा में फलस्तीनियों का समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के व्यापार मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जहाज लगातार अरब सागर में गश्त कर रहे हैं। प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वाणिज्यिक मार्गों की निरंतर हवाई निगरानी भी की जा रही है।
अपहरण संबंधी संकट की सूचना मिलने के बाद अरब सागर में भारतीय नौसेना द्वारा एक व्यापारिक जहाज से चालक दल के 21 सदस्यों को बचाए जाने के बाद पाकिस्तानी नौसेना ने रविवार को अपने जहाजों को तैनात करने का फैसला किया।
यह कदम यमन के हुती विद्रोहियों द्वारा किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों के चलते कई जहाजों के लाल सागर से वापस जाने और दूसरे रास्ते अपनाए जाने के बाद आया है। ईरान समर्थित हुती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में अंतरराष्ट्रीय पोतों पर हमले किए जाना वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए प्रतिकूल हो सकता है। ईरान का कहना है कि उसके सहयोगी अपने हिसाब से काम करते हैं, तेहरान के आदेश पर नहीं।