राम मुस्कुराने आ गए

आओ भोले श्याम संग हम,

राम का स्वागत करें,

माटी के कण-कण में चंदन,

फूल से वंदन करें।

आओ भोले....

राम अपने घर को आए,

ले के सारी सुधियां आए,

धूली पर जो पग पड़े तो,

भोले संग वंदन किया।

आओ भोले ...

सरयू भी बेसब्र होकर,,

मनभर हिलोरें ले रही,

राम के संग सिया दर्शन,

से भी वो खुश हो रही।

आओ भोले ...

देवगण भी आसमां से,

पुष्प वर्षा कर रहे,

देखकर मेरी सिया के,

राम हर्षित हो रहे।

आओ भोले ...

जिस घड़ी की बाट सदियों,

अश्रुओं से थी गुजारी,

राम के आने से देखो,

भाग सबके खुल गए।

आओ भोले ...

राम की धुन राम के संग,

गाने के दिन फिर आ गए,

राम भी फिर पास मेरे,

मुस्कुराने आ गए।

आओ भोले ....


कार्तिकेय त्रिपाठी 'राम'

गांधीनगर, इन्दौर,(म.प्र.)