मेदांता अस्पताल के विशेषज्ञों ने सर्दियों में हार्ट अटैक व् गॉलब्लेडर(पित्तशय) में पथरी के विषय पर बहुमूल्य जानकारी साझा की
आजमगढ़ : मेदांता अस्पताल, लखनऊ और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), आज़मगढ़ ने शुक्रवार शाम को एक इंटरएक्टिव सेशन का आयोजन किया गया। इस सेशन का उद्देश्य गॉलब्लेडर(पित्तशय) में पथरी का इलाज और हार्ट अटैक मैनेजमेंट जैसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य विषयों पर जागरूकता बढ़ाना था।
सत्र के पहले भाग में, मेदांता अस्पताल में जीआई सर्जरी, जीआई ऑन्कोलॉजी और बेरिएट्रिक सर्जरी के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. संदीप कुमार वर्मा ने गॉलब्लेडर में पथरी के विषय में एक महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया पित्त की पथरी पित्ताशय में मौजूद पाचक द्रव (पित्त) का ठोसावस्था में जमा होना है। यह भारत में सामान्य आबादी के 10-20% को प्रभावित करने वाली एक बहुत ही सामान्य बीमारी है। पित्त की पथरी का उपचार आमतौर पर शल्यचिकित्सा द्वारा किया जाता है।
जिसमें पित्ताशय को शरीर से निकाल दिया जाता है (कोलेसीस्टेक्टॉमी)। यह एक लेप्रोस्कोपिक या कीहोल सर्जरी(दूरबीन विधि) है जिसमें पेट में छोटे छेद के माध्यम से पूरी प्रक्रिया की जाती है। पित्त की पथरी को खत्म करने के लिए आमतौर पर अन्य कोई उपचार प्रभावी नहीं होता है।
उचित वजन बनाए रखना पित्त की पथरी को कम करने का सबसे सही तरीका है। नियमित व्यायाम और कम कैलोरी वाला आहार पथरी को दूर रखने में मदद करता है। भोजन को ना करने से बचें क्योंकि इससे पथरी बनने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा जो लोग अपना वजन कम करने का इरादा रखते हैं, वे इसे बहुत तेज़ी से नहीं करें। आपका लक्ष्य 500 ग्राम से 1 किलोग्राम/सप्ताह कम करना होना चाहिये।
सत्र के दूसरे भाग में, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के सीनियर डॉ. हिमांशु गुप्ता ने सर्दियों में ह्रदय घात के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। डॉ. हिमांशु गुप्ता ने कहा ठंड के मौसम में नसें ज्यादा सिकुड़ती हैं और सख्त बन जाती हैं। इससे नसों को गर्म और एक्टिव करने के लिए ब्लड का फ्लो बढ़ जाता है जिससे ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर बढ़ने से हार्ट अटैक होने का खतरा भी बढ़ जाता है। जिन्हें पहले से हार्ट डिसीज है, सर्दी में उनमें हार्ट अटैक का खतरा 31 फीसदी तक बढ़ जाता है। अगर आपको दिल की बीमारी है तो ये तीन बातें ध्यान रखें-
ज्यादा पानी न पिएं –दिल का एक काम शरीर में मौजूद रक्त के साथ लिक्विड को पम्प करने का भी होता है। जिन्हें दिल की बीमारी होती है, उनके दिल को वैसे भी पम्प करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे में अगर आप बहुत ज्यादा पानी पी लेंगे तो हार्ट को पम्पिंग में और भी मेहनत करनी पड़ेगी और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाएगा।
नमक कम से कम खाएं- दिल के मरीजों को अपने खाने में नमक की मात्रा कम से कम लेनी चाहिए, केवल इस वजह से ही नहीं कि यह ब्लड प्रेशर की समस्या को बढ़ा देगा, बल्कि इसे ध्यान में रखें कि नमक शरीर में पानी को रोकता है।
न सुबह जल्दी उठें और न जल्दी सैर पर जाएं- जिन लोगों को पहले भी हार्ट अटैक आ चुका है या जिनके दिल पर ज्यादा खतरा है, वे ठंड के दिनों में न तो बिस्तर जल्दी छोड़ें और न ही जल्दी सैर पर जाएं। ठंड की वजह से नसें पहले से ही सिकुड़ी हुई होंगी और जब ठंडे वातावरण के संपर्क में आएंगे तो बाहर की अधिक सर्दी की वजह से शरीर को अपने आप को गर्म बनाए रखने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। इससे दिल को ज्यादा काम करना पड़ेगा।
इस अवसर पर आईएमए, आज़मगढ़ के प्रेसिडेंट डॉ. एके सिंह और सेक्रेटरी डॉ. सीके त्यागी की उपस्थिति उल्लेखनीय थी। आजमगढ़ के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. दीपक साहा और डॉ. स्वस्ति सिंह ,डॉ. आर.डी. सिंह के साथ डॉ.बी.एन. अग्रवाल ने गोष्ठी की अध्यक्षता की।
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