मन तू क्यों उदास है
कोई तेरे साथ चले न चले
मंजिलों को भी तेरी तलाश है
रास्ते कठिन हैं तो क्या हुआ
हारना तो तेरा काम नहीँ
तू खुद से प्रीत तो कर
ईश्वर जरूर तेरे साथ है
पत्थरों से क्यों उम्मीद है
सूरज की राह चल तो सही
कोई तेरा साथ दे न दे
तेरी हिम्मत तो तेरे साथ है
अंधेरों से क्यों डर रहा
लहरों पर क्यों मचल रहा
कोई तेरे साथ हो न हो
सच आज भी तेरे साथ है
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़