सर्दी मुक्तक December 07, 2023 • कामगार पोस्ट आहिस्ते रह वक्त झूमते,धुंधें भी कुछ मौन बाँचते।ठंडी भोर सजी सुहासिनी,नैनों में मुसकान झाँकते।।मुग्धा दुल्हन-सी लजा रही,तारे भूषण-से झिलमिले-सामंजस्य विधान शोभते,सर्दी के तल भाव मोहते।मीरा भारती,पटना,बिहार।