पूस के दिनों में
धूप तलाशती कविताएं
समय की सलाइयों पर बुन रहीं हैं एक प्यारा सा स्वेटर ,
पीला-नीला , हरा-लाल..
सबके मनचाहे रंगों में,
एक फंदा सीधा..एक उल्टा..
दो सलाई उल्टी..एक सीधी..
काली धारी..लाल चैक..
अबकी ये डिजाइन..
वो बड़े वाले बटन..
एक साइज़ बड़ा
ताकि अगले बरस भी खूब पहनों,
सुनों..
आजकल फैशन में क्या है..
ट्रैंड कैसा है..
कोई फ़र्क नहीं पड़ता ,
बस..भेजना चाहतीं हैं तुम तक
थोड़ी नर्म सी गर्माहट ,
ताकि "महसूस" कर सको
उनके होने का एक-एक एहसास
अपने बहुत ही पास..हां, बहुत ही पास !!
नमिता गुप्ता "मनसी"
मेरठ, उत्तर प्रदेश