युवाओं जा रहें जिस ओर,तुमकों कुछ पता है क्या।

युवाओं जा रहें जिस ओर,तुमकों कुछ पता है क्या।

सही है रास्ता या गलत,कुछ भी तुमकों पता है क्या।


स्वयं के साथ जो भी कर रहें,हो इस अवस्था में तुम।

भविष्य में सर हाथ रख,रोओगे तुमकों पता है क्या। 


ख्वाब की गली में सब पुष्प,अच्छें तुमकों लगेंगे सुनो।

सच की राहों में तो कांटा,मिलेगा तुमकों पता है क्या।  

   

जिस अधर से मुस्कुराकर,गीत गाते हो आजकल तुम।

कल अधर मौन होगा तुम्हारा,तुमकों पता है क्या।


आसमां का चाँद देखो बस,तुम्हारा एक अब है नहीं।

हर किसी के आँगन में होता,है ये तुमको पता है क्या।


कभी माँ बाप को अपने,अपशब्द कहना उचित नहीं।

तुम्हें पाला है कैसे बताओं,तुमकों कुछ पता है क्या।


नाम:- प्रभात गौर 

पता:- नेवादा जंघई प्रयागराज उत्तर प्रदेश