सेना के शौर्य को याद कर हिलोरें लेता है लहू: मंगल सिंह

सहारनपुर। आज मोक्षायतन अंतर्राष्ट्रीय योग संस्थान, नेशन बिल्डर्स अकादमी और राष्ट्र वंदना मिशन द्वारा बेरी बाग स्थित नेशन बिल्डर्स एकेडमी परिसर में आयोजित भारतीय सेना के 1971 युद्ध के ऐतिहासिक विजय दिवस के अवसर पर पहुंचे  वरिष्ठ सैन्य अधिकारी कर्नल मंगलसिंह ने कहा कि विजय एक उत्सव है और भारतीय सेना के शौर्य से तो रगों में लहू हिलोरें लेने लगता है। 

अपने बचपन को याद करते हुए उन्होंने बताया कि भारतीय सेना द्वारा गिरफ्तार करके बरेली में निरुद्ध किए गए पाक सेना के हजारों युद्ध बंदियों को देख कर कैसे हम गर्व से भारतीय सेना की जयकार करते थे। उन्होंने संस्थान में गुरुदेव पद्मश्री स्वामी भारत भूषण से भी भेंट की जिन्होंने 16 दिसंबर 1971 को पूर्ण हुए भारतपाक युद्ध को विश्व इतिहास का सबसे बड़ा विजय दिवस बताते हुए । 

इसे अपनी स्मृतियों का गौरव दिवस बताया और अपनी देश दीवानगी को याद करते हुए बताया कि 19 साल की उम्र में मेरे हाथ में अमेरिकी शांति सेना ज्वाइन करने का टेलीग्राम था और उधर पूर्वी पाक में भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल मानिक शॉ के नेतृत्व में जारी निर्णायक जंग में अमेरिका ने पाक की मदद के लिए अपना सातवां जंगी बेड़ा हिंद महासागर में उतार दिया था । 

जिससे मेरा मन ऐसा आंदोलित हुआ कि मैं अमेरिकी शांति सेना की नौकरी की ऑफर को ठुकराकर पल भर में ही अपनी नजरों में परमवीर बन गया! योग गुरु ने कहा कि यदि पैसा और पद की चाह में मैं वह अमेरिकी नौकरी स्वीकार कर लेता तो शायद जिस गौरवपूर्ण स्थिति में मैं आज बात कर पा रहा हूं, ऐसा कभी न कर पाता। उन्होंने याद किया कि ये लड़ाई विश्व इतिहास की शायद सबसे बड़ी लड़ाई थी जिसमे भारतीय सेना के सामने 93 हजार सशस्त्र सैनिकों ने आत्म समर्पण किया था। 

उन्होंने योग और सेना के रिश्ते को याद करते हुए कहा कि योग हमे जीवन संग्राम में विजेता हो कर जीना सिखाता है, इसीलिए हर नागरिक बिना वर्दी का सैनिक और हर सैनिक बावर्दी नागरिक, इस सोच ने ही मुझे अभी तक एक ऐसा सिपाही बना रखा है जो योग का अपराजेय अस्त्र अपनी सेना के हाथ में थमाता रहा है।