वह अटल सदैव अटल

जो राष्ट्र के लिए जिया 

जो राष्ट्र के लिए लड़ता रहा आगे बढ़ता रहा देश में वह 

भारत का रत्न ही था जो मुश्किलों में भी राजनीति में डटा रहा जनता की सेवा करता रहा ।

विपक्ष में रहते हुए भी

सभी का चहेता बना रहा

ना कभी किसी से शिकवा

ना किसी से कोई बुराई 

वह अल्हड़ फ़क़ीरी में रहता हुआ ,

जन मानस के दिलों में राज करता रहा । 

लेखनी से अपनी शुरुआत करते हुए

वह कवि बन आत्म मंथन करता रहा ,

जनसंघ के दीपक को जलने हेतु पांचजन्य  लिये निकल पड़ा वह अटल

सदैव अटल सदैव अटल।

कोशिश हर दम जारी रही

गिरा गिर के फिर खड़ा हुआ

हार को मुस्कुराते हुए स्वीकार करने वाला कोई और नहीं था

वह भारत की राजनीति का ध्रुव तारा ही था।

वह अटल सदैव अटल बना हुआ है,

बुलंद भारत के लिए उनका राष्ट्र समर्पण कोई भुला नहीं पायेगा

वह भारत रत्न अटल बिहारी जी जनमानस की सांसों में हमेशा जीवित रहेंगे।

वह अटल सदैव अटल रहा 

भारत के स्वाभिमान को जिसने झुकने नहीं दिया

सत्ता की लालसा

उन्हें कभी भी नहीं थी 

संविधान के दायरे में रहे कर उन्होंने देश हित में जन मानस के हृदय में राज किया। 

हिन्दुस्तान का एक महान पुरुष राष्ट्र भक्त 

जो अविरल प्रवाह से सफ़र में

आगे बढ़ता रहा 

मुश्किल कितनी भी आई

आंधी तुफान लाख आये

पर वह एक दीपक की तरह अन्धकार में रोशनी लिये निकल पढ़,

वह अटल सदैव अटल सदैव अटल  ।।

प्रेषक लेखक हरिहर सिंह चौहान

 जबरी बाग नसिया इन्दौर मध्यप्रदेश

452001

मोबाइल -9826084157