रौली में चल रही सात दिवसीय कथा के पांचवें दिन की कथा में बोले कथाव्यास

चित्र नहीं चरित्र होता है पूज्यनीय  - अवधेश पाण्डेय

चित्रकूट | भरतकूप, ग्राम पंचायत रौली में कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव के तत्वावधान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में कथा व्यास अवधेश पाण्डेय द्वारा काशी प्रसाद मिश्रा को स्रोता बनाकर सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सुनाई जा रही है। 

 पँचम दिवस की कथा में कथाव्यास अवधेश पाण्डेय ने श्री मदभागवत महापुराण की पावन कथा का निरूपण करते हुए भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन विस्तार से सुनाया उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण के जीवन दर्शन को यदि ध्यान से देखा जाए तो पता चलता है कि जीवन में विपत्तियों के आने की कोई उम्र नहीं होती है उन्होंने परिभाषित करते हुए कहा कि श्री कृष्ण का जन्म भी विपत्तियों के कारण ही हुआ है और इतना ही नहीं जन्म भी कारागार में और माता पिता भी कारागार में उसके बाद माता पिता से विछोह भी होता है इसके बावजूद दुर्भाग्य उनका पीछा नहीं छोड़ता है। और उनके साथ साथ मथुरा से नन्दगाँव तक साए की तरह पीछे लगा रहता है

दूध पीने की उम्र में उन्हें पूतना विष पिलाने की कोशिश करती है और खेलने की उम्र में उन्हें बकासुर अघासुर के साथ मौत का खेल खेलना पड़ा साथ ही कालिया नाग के साथ श्री कृष्ण को बालपन में जूझना तक पड़ा लेकिन उन्होंने इस संसार को अपने जीवन से यही नसीहत देने की कोशिश की है कि न्याय के लिए सदा संघर्ष करना पड़ता है। उससे कभी विचलित नहीं होना चाहिए समस्या चाहे जैसी हो उसका डटकर मुकाबला करना चाहिए इतिहास उसी का लिखा गया है जिसने चरित्र को गढ़ा है। 

कथा व्यास ने भगवान श्री कृष्ण के जीवन पर प्रकाश डालते हुए विस्तार से कथानक को बड़े मनोहारी ठंग से वर्णन किया  रौली में चल रही श्री मद्भागवत कथा को लोग भक्ति भाव से श्रवण कर रहे हैं इस भक्ति रस की धारा रूपी ज्ञान यज्ञ की व्यवस्था में आशीष मिश्रा मनीष मिश्रा पंकज मिश्रा जिम्मेदारी संभाल रहे हैं|  इस कथा को श्रवण करने के लिए तमाम गाँव के लोग महिलाओं एवं पुरुषों की संख्या में मौजूद रहे।