भाई के कलेजे मुंह आने लगे

अब भाई को भी कलेजे मुंह आने लगे 

जब भाई ने मुंह फेर लिया 

जिसको पालने के लिए 

अपना बचपन तख़्त पर रख दिया था 

जिन बहनों के हाथ पीले करने को 

कर दिया जवानी न्योछावर


जो कराया था कभी

उस पिता ने परिचय

अपने मद में, उस कैकेई से

जिसे मान लिया था उस मासूम ने 

उसके आंचल में अपनी दुनिया


जो दे ना पाई अपने राम को

उसके हक के एक छटाँक चावल 

वह दे दी अपने भरत के स्नेह में

आजीवन वनवास 


तोड़ दिया रिश्ता उसने भी

जो बनाए गये थे कभी

मासूमियत का हवाला देकर


कलेजे पर बड़े दुख के छाले 

नासूर हो चुका था 

उसने भी तोड़ दिया 

स्वार्थ से चरमराये रिश्ते।


रानी प्रियंका वल्लरी 

बहादुरगढ हरियाणा